Saturday, April 12, 2025

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युद्ध की जब बात हो तो यज्ञ की फिर बात मत कर

गाजीपुर।शहर के अष्टभुजी कॉलोनी स्थित द प्रेसिडियम इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में तुलसीदास की जन्मजयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर श्रीकांत पाण्डेय ने कहा कि तुलसीदास ने जिस समय काल में अपनी रचनाओं का लेखन किया। उस समय में शैव और शाक्त के मध्य एक अलगाव था जिसे उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से खत्म करने का प्रयास किया। कार्यक्रम की संयोजक पूजा राय ने कहा कि तुलसीदास ने जिस समय काल में लिखा वो बहुत विषम था। उन्होंने जो लिखा उसमें कुछ असहमतियां हैं। हमारे पास असहमति की जगह हमेशा होनी चाहिए बस असहमति का तरीका स्वास्थ्य और संवादपूर्ण होना चाहिए। कवि दिनेश चन्द्र शर्मा ने रचना पढ़ी कि, लहरों के थपेड़ो को किनारों से पूछो/ गमों के दौर को कलमकारों से पूछो/ कौन कहता है कि उजालों की दीवार नहीं खड़ी होगी/ भारतीय संस्कृति के कर्णधार तुलसीदास के विचारों से पूछो। साहित्यकार माधव कृष्ण ने कहा कि हम जिस धरातल पर खड़े होकर किसी रचनाकार को परखते हैं वही महत्वपूर्ण है। हम उन्हें अपने शब्दकोष से जब परखते हैं तो हमारा व्यक्तिगत शब्दकोश हमें ब्लाइंड कर देता है जबकि तुलसीदास को समझने के लिए उनके स्तर पर उतरना होगा और पढ़ना होगा। उन्होंने अपना काव्यपाठ करते हुए पढ़ा- युद्ध की जब बात हो तो यज्ञ की फिर बात मत कर/ बैरियों के रक्त को फिर घृत बना कर दैनिक हवन कर पलायन कबतक करेगा नहीं तेरा काल साथी एक पत्थर मार। साथी कवयित्री शालिनी श्रीवास्तव जी ने पढ़ा, “वक्त की आँधी में /अनुबंध हो गए विस्मृत/ स्वार्थ के आड़ में /संबंध हो गए सीमित। उन्होंने अपनी व्यंग्यात्मक कविता पढ़ते हुए कहा, “एक मिनिस्टर ने डांटा चपरासी को/ उसने कहा क्यूं डांटते हो सरकारी नौकर को/ अंशकालिक नौकरी पर इतना गुरूर टेम्पररी हो कर धमकाते हो। परमानेंट को.” द प्रेसिडियम इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंध तंत्र ने सभी साहित्यकार विद्वानों और चिंतकों का धन्यवाद किया। संचालन व्यंग्य कवि विजय कुमार ‘मधुरेश’ ने किया।

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