टिकट को लेकर उठा-पटक दिखाई दे रही है घुमंतू भाई…
—मिया घूमंतू
गाजीपुर। अरे घूमंतू भाई आज घर से बहोत देर से निकले है। आप तो देख ही रहे है जुम्मन भाई कि मौसम ठंडा हो गया है। इसलिए इस उम्र में रिश्क नहीं लेना चाहता हूं। वैसे भी इस समय मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है। और बताइए विधानसभा चुनाव में क्या चल रहा है। क्यां बताऊ, जुम्मन भाई। अभी तक तो कोई खास सियासी हलचल नहीं दिखाई दे रही हैं। पिछले दिनों सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के फखनपुरा में हुई सभा और उसमें उमड़ने वाली भीड़ से थोड़ी सी राजनीतिक हलचल बढ़ी थी। वर्तमान में तो प्रायः सभी पार्टियों में टिकट को लेकर हलचल दिखाई दे रही है। चुनाव की अधीसूचना जारी होने और सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के तय होने के बाद ही चुनावी ट्रेन पूरी रफ्तार से जनता के बीच दौड़ेगी। मुझे तो राजनीति की बहोत ज्यादा एबीसीडी मालूम नहीं है घूमंतू भाई, लेकिन इस बार टिकट को लेकर सभी पार्टियों में खासकर सपा में काफी उठा-पटक दिखाई दे रही है। तमाम नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की है। इसमें कई नए चेहरे भी शामिल हैं। जानते है जुम्मन भाई, अब वह जमाना खत्म हो गया, जब लोग अपने लोकप्रियता के बल पर चुनाव लड़ा करते थे। अब तो राजनीति में जातिवाद की बयार बह रही है। इसलिए सभी पार्टियां भी जातिगत आधार पर ही प्रत्याशियों का चयन करना मुनासिब समझ रही है। वैसे भी इस बार के चुनाव में अभी तक सपा और भाजपा ही आमने-सामने दिखाई दे रही है। एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी अपनी तमाम योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर दोबारा कुर्सी पर विराजमान होने की फिराक में है, वहीं विपक्ष सत्ताधारी पार्टी की गलत की नीतियों से जनता को अवगत कराने के साथ ही जनता से लोक-लुभावने वायदे कर कुर्सी पर काबिज होने की रणनीति अपना रहा है। 2017 के चुनाव में तो भाजपा की लहर थी। यही कारण था कि जिले की पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था, जबकि सपा के खाते में सिर्फ दो सीटें आई थी, जिसमें जंगीपुर विस से डा. वीरेंद्र यादव और सैदपुर से सुभाष पासी शामिल थे। हाल ही में सुभाष पासी सपा का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। अब इस सीट पर सपा को दूसरे दमदार प्रत्याशी की तलाश करनी पड़ेगी। पिछले चुनाव में सपा के हाथ जबरदस्त निराशा लगी थी। इसलिए शायद वह इस बार चुनावी अखाड़े में उसी पहलवान को उतारे, जो विरोधी को धूल चटाते हुए मैदान मार सकें। टिकट की मारा-मारी को लेकर बगावत का बिगुल बजने की भी संभावना है। मुझे अब बहोत देर हो रहा है जुम्मन भाई, घर पर दूध लेकर जाना है। जाते-जाते आपसे मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि जातीय समीकरण के उधेड़बुन में फंसते हुए प्रायः सभी पार्टियों ने मंथन करना शुरु कर दिया है। इसी आधार पर ही अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।