
गाजीपुर। गंगा को निमर्ल व अविरल करने व निषादराज जयन्ती मनाने के लिए समग्र गंगा के तत्वाधान में कलेक्टरघाट पर पांच अप्रैल को आयोजित की गयी। कार्यक्रम के अध्यक्ष रामा चौधरी, मुख्य वक्ता दीपक, समग्र गंगा के संरक्षक सर्वजीत सिंह, जिला संचालक जयप्रकाश ने निषादराज के चित्र पर माल्यापर्ण कर दीप प्रज्जवलित किया। सह विभाग प्रचारक दीपक ने बताया कि महाराज निषादराज श्रंगवेगपुर के महाराज रहे और गुरूकुल के समय से ही श्रीराम के परम मित्र थे जो उनका साथ बनगमन से लेकर लंका के रावण युद्ध तक लगातार मित्रता का धर्म निभाते हुए विपत्तियों में श्रीराम का साथ दिया। जब श्रीराम, मां सीता व लक्षमण के साथ वनगमन किये तब प्रयागराज में गंगा पार करने के लिए केवट को बुलाये तभी भगवान श्रीराम व केवट संवाद हुआ कि मांगी नाव न केवटू आना! कहइ तुम्हार मरम मै जाना।। चरन कमल रह कहूं सबु कहई। मानुष करति मूरि कछु अहई।। केवट ने श्रीराम से अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि आपके पैर से छू जाने से पत्थर भी जीवित हो जाता है तो हमारी नाव को कुछ हो गया तो मै कैसे अपना जीवन निवर्हन करूंगा। इसलिए नाव में बैठने से पहले हम आपके पांव पखारेगें। तब आपको नाव में बैठाकर नदी पार कराउऊंगा, तब श्रीराम ने केवट के भाव को जान लिये और केवट ने पांव पखारे। वही निषादराज को गले लगाया और मित्र धर्म को निभाया। संरक्षक सर्वजीत सिंह ने समग्र गंगा के उददेश्यो व कर्तव्यों को आत्मसात करने पर बल दिया। अध्यक्ष रामा चौधरी ने निषादराज जयन्ती मनाने पर अपार हर्ष व्यक्त किया। जिला संचालक ने मां गंगा को निर्मल व प्रदुषण मुक्त करने पर बल दिया। कार्यक्रम के संयोजक कृपाशंकर राय ने बताया कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने के पश्चात मां गंगा को राजा भागीरथ के प्रयास से जनकल्यार्णाथ धरती पर लाया गया और इस पावन गंगा की अविरल धारा ऐसी ही बहती रही। कार्यक्रम के अन्त में गंगा घाट पर बने रंगोली पर घी के दीपक व गंगा घाट पर दिया जलाया गया। इस अवसर पर विहिप के दिनेशचन्द्र पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय, विहिप मंत्री विपिन श्रीवास्तव डब्बू, महिला अधिवक्ता रीना चौधरी, अखिलेश सिंह, अजय कुमार तिवारी, दीपक जायसवाल, रविकान्त पाण्डेय, प्रभूनारायण सिंह, विश्वनाथ पाण्डेय, पारसनाथ सिंह, अशोक राय, नितिन अग्रहरी, किशन चौधरी, रोहित, रितेश पटेल, रोशन चौधरी, शिवम अग्रवाल, जयप्रकाश राय, अमित चौधरी, श्माम आर्य, संजय राय, विजय नरायण राय, रासबिहारी राय, राजेन्द्र चौधरी आदि उपस्थित रहे।
