महादेवी वर्मा की कविताएं और कहानियां आज भी प्रासंगिक

 महादेवी वर्मा की कविताएं और कहानियां आज भी प्रासंगिक

गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में भाषा संकाय के हिंदी विषय की शोधार्थिनी रुचि मिश्रा अपने शोध शीर्षक “महादेवी वर्मा के गद्य साहित्य में मानवीय संवेदना का विशेष अध्ययन” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि छायावादी युग की चर्चित कवयित्री महादेवी ने अपनी जिस सहज, सौहार्द और एकांत आत्मीयता की अभिव्यंजना का जो अपूर्व कला-कौशल अपने गद्य रचनाओं में व्यक्त किया है, वह केवल उनकी अपनी ही कला की विशिष्टता की दृष्टि से नहीं वरन संसार- साहित्य की इस कोटि की कला के समग्र क्षेत्र में भी बेमिसाल और बेजोड़ है। उनकी कृतियां मानवीय भावज्ञता, संवेदना और कलात्मक प्रतिभा के अपूर्व निदर्शन की दृष्टि से शाब्दिक अर्थ में अपूर्व और अद्‌भुत कलात्मक चमत्कार के नमूने हैं। महादेवी वर्मा की कविताएँ, कहानियां और संस्मरण आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जितना की पहले थे। दशको पुरानी उनकी कविताएँ और संस्मरण आज भी हमे उसी सादगी भरी दुनियां में ले जाते है । रुचि मिश्र ने यह भी कहा कि समाज में व्याप्त भौतिक सुख-साधनों के बीच रहकर आज का मनुष्य संवेदनाहीन बनता जा रहा है। आज के मनुष्य को किसी के दुःख से किसी की पीड़ा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ऐसे निष्ठुर और कठोर हृदय विहीन समाज को महादेवी की जीवन्त रचनाओं के माध्यम से जागृत करने की आवश्य‌कता है। इसके बाद समिति चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एसडी सिंह परिहार, प्रोफे० अरुण कुमार यादव, शोध निर्देशक एवं हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ०) विनय कुमार दुबे, डॉ० संजय कुमार सुमन, डॉ योगेश कुमार, डॉ समरेंद्र नारायण मिश्र, डॉ रविशेखर सिंह, डॉ राम दुलारे, डॉ मनोज कुमार मिश्र, डॉ अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे।

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