गुरु की कृपा के बिना भगवान की प्राप्ति असंभवःमहा मंडलेश्वर

 गुरु की कृपा के बिना भगवान की प्राप्ति असंभवःमहा मंडलेश्वर

गाजीपुर। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु की कृपा के बिना भगवान की प्राप्ति असंभव है। जिनके दर्शन मात्र से मन प्रसन्न होता है, अपने आप धैर्य और शांति आ जाती हैं, वे परम गुरु हैं। गुरु की भूमिका भारत में केवल आध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है, देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है। अर्थात अनादिकाल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है। अतः सद्गुरु की ऐसी महिमा के कारण उसका व्यक्तित्व माता-पिता से भी ऊपर है। यह बातें महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने गुरु महिमा की बखान करते हुए कहा कि गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक के अनुसार- ‘यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु’ अर्थात जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है, वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है। कहा कि उनके द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग व नेपाल स्थित पशुपतिनाथ सहित 20 से अधिक धार्मिक तीर्थस्थलों पर 300 से अधिक वैदिक विद्वानों के साथ चतुर्मास अनुष्ठान संपादित किए जा चुके हैं, लेकिन पिछले 6 वर्षों से सिद्धपठ हथियाराम मठ पर बुढ़िया माई के सानिध्य में किए जाने वाले चातुर्मास अनुष्ठान से एक अलौकिक शांति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि जब तीन उत्तम शिक्षक, एक माता, दूसरा पिता और तीसरा आचार्य हो, तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा। बच्चा जन्म लेने के बाद जब बोलना सीखता है, तब वह सबसे पहले जो शब्द बोलता है, वह शब्द होता है “मां”। महाराज ने कहा कि सिद्धपीठ स्थित बुढ़िया माई की कृपा से ही इस पीठ का उत्तरोत्तर वृद्धि विकास संभव हुआ है। बुढ़िया माई की कृपा से लकवा जैसे असाध्य रोग से ग्रसित लोग भी अपने पैरों पर चलकर जाते हैं, यह चमत्कार इस सिद्धपीठ की बुढ़िया माई के आशीर्वाद से ही संभव हो पाता है। इससे पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ यति जी महाराज ने वैदिक रीति-रिवाज से अपने ब्रह्मलीन गुरु व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी बालकृष्ण यति जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण व आरती, पूजन-अर्चन कर किया। इसके साथ ही उन्होंने सिद्धपीठ के ब्रह्मलीन 25 पीठाधीपतियों के साथ ही सभी संत महात्मा गुरुजनों का पूजन-अर्चन कर नमन किया।

You cannot copy content of this page