Saturday, September 28, 2024

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बिन आंगन वाले इस घर में आई है अम्मा

गाजीपुर।’साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के तहत मित्रमण्डल’ जंगीपुर के जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया।  गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना “वस्त्राच्छादित गात श्वेत हिम सा अत्यंत आह्लादक/वीणा की झनकार चारु उर में गूँजे सदा  सौख्यदा” से हुआ। इसके बाद साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के मूल उद्देश्य पर विशद प्रकाश डाला। व्यंग्य के कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता “वो बड़ा आदमी जब भी मिलता है/कहता है कुछ काम हो तो बताना/पर न नम्बर बताता है/ना ठिकाना” प्रस्तुत कर प्रशंसित रहे। वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने “निर्माण कार्य चालू है/पुलिया बना रहे बन्दर और भालू हैं/राम शायद ही उस पार जा सकें/क्यों कि एक बोरी सीमेंट में/पचास बोरी बालू है” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। युवा नवगीतकार डा.अक्षय पाण्डेय ने अपना ‘शहर में आई है अम्मा’ शीर्षक नवगीत “निष्प्रभ हुआ आईना मन का/समय सवाली है/दीवारों पर टंगी हुई/नकली हरियाली है/कैसे अपने सपन सँवारे/आँखों में आकाश उतारे/ बिन आंगन वाले इस घर में आई है अम्मा” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध  कर दिया। शायर बादशाह राही ने अपनी ग़ज़ल “खून एक जैसा है सबका दुनिया में/फिर भी राम-रहीम तो कोई नन्दू है/सबसे पहले हम इंसान हैं ऐ राही/कोई मुस्लिम और न कोई हिन्दू है” सुनाकर श्रोताओं की प्रशंसा अर्जित की।काव्यगोष्ठी में नागेश मिश्र, कामेश्वर द्विवेदी, दिनेशचन्द्र शर्मा, एवं गोपाल गौरव ,शशांकशेखर पाण्डेय,चन्द्रभान गुप्ता,लाल जी गुप्ता,विजय शंकर राय,विरेन्द्र कुमार सिंह, सुरेश चन्द्र पाण्डेय, राजेश वर्मा, विद्युत प्रकाश आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता रामप्रसाद गुप्त एवं संचालन डा.अक्षय पाण्डेय ने किया। संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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