Friday, January 24, 2025

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डॉ. जितेन्द्र नाथ पाठक साहित्य को अपनी साधना समझते थेः प्राचार्य  

गाजीपुर। साहित्यकार व पीजी कालेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ० जितेन्द्र नाथ पाठक के निधन की सूचना पर पीजी कॉलेज में शोक की लहर व्याप्त हो गई। उनका वाराणसी में रविवार को निधन हो गया। पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग में वह लंबे समय तक सेवारत रहे हैं। प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि डॉक्टर पाठक साहित्य को अपनी साधना समझते थे और उनके लेख यथार्थ ज्ञान एवं प्रेरणा प्रदान करती है। वह पी० जी० कालेज के विद्वान एवं आदर्श प्राध्यापक रहे। प्रोफेसर पाण्डेय ने बताया कि वह पीजी कालेज के गौरवशाली प्राध्यापक रहे जिन्हें कई साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया गया है। साहित्यकार डॉ. जीतेन्द्र नाथ पाठक का जन्म पांच जुलाई 1936 को हुई थी। अंतिम समय तक हिन्दी की अनवरत सेवा करते हुए लिखते पढ़ते रहे। उनकी कई दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं। उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत में अपूरणीय क्षति हुई है। पच्चास से अधिक पुरस्कारों व सम्मानों से पुरस्कृत व सम्मानित डॉक्टर जितेन्द्र नाथ पाठक को प्रयाग की ओर से साहित्य महोपाध्याय उपाधि, 2001 में साहित्य- भूषण की सम्मानित पुरस्कारोपाधि, 2007 में पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कारोपाधि सम्मान के सम्मानित किए गए थे। आज कई विश्वविद्यालयों में डॉक्टर जितेन्द्र नाथ पाठक के साहित्य सृजन पर शोध कार्य चल रहे हैं।

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