प्रथम आचार्य डा. अमृता कुलश्रेष्ठ को अर्पित की गई श्रद्धांजलि

 प्रथम आचार्य डा. अमृता कुलश्रेष्ठ को अर्पित की गई श्रद्धांजलि

गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय शनिवार को महाविद्यालय के चित्रकला विभाग की प्रथम आचार्य डा. अमृता कुलश्रेष्ठ जी के परिनिर्वाण पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसमें डा. कुलश्रेष्ठ जी के चित्र पर महाविद्यालय की प्राचार्य डा. सविता भरद्वाज तथा प्राध्यापकों, कर्मचारियों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
इस मौके पर ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन हुआ। इसमें प्रदेश के कोने-कोने से लोगों ने अपने संस्मरणों के माध्यम से श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। बताया कि डा. अमृता कुलश्रेष्ठ महिला महाविद्यालय में 1979 से लेकर 1993 तक कार्यरत रहीं। इसके पश्चात वह काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में 2009 तक चित्रकला विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहीं। फिर फैजाबाद एवं मेरठ में राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर आसीन रहीं। उनके प्रथम शोध छात्र एवं वर्तमान में महाविद्यालय के चित्रकला विभाग के प्रभारी प्रोफेसर उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि आपने राजकीय महाविद्यालयों में चित्रकला विभाग को स्थापित किया। दर्जनों शिष्य महाविद्यालयों में चित्रकला शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लखनऊ से जुड़े प्रसिद्ध चित्रकार प्रोफेसर सुनील सक्सेना ने कहा कि वह उत्तराखंड उत्तर प्रदेश की पहली आचार्य थी, जो चित्रकला विभाग में नियुक्त हुई। इन्हीं के मार्गदर्शन में प्रदेश के महाविद्यालयों में चित्रकला विषय का विस्तार हुआ। वह सहज, सरल व्यक्तित्व की धनी थी। सहयोग तथा समर्पण उनकी विशिष्ट निधि थी। आगरा से प्रोफेसर यशोधरा शर्मा ने उनके साथ बिताए गए समय को याद करते हुए कहा कि वह सिर्फ प्रशासनिक और सामाजिक सरोकार ही नहीं, बल्कि सहकर्मियों से पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंध भी रखती थी, जिसके कारण कार्यस्थल का माहौल सदैव हल्का तथा खुशनुमा बना रहता था। सेवापुरी वाराणसी से जुड़ी प्रोफेसर गीता रानी शर्मा ने कहा कि वह बहुत सजग तरीके से संबंधों को व्यवस्थित रखती थी। उनके शिष्य प्रोफेसर उमाशंकर प्रसाद, डा. शिव शंकर यादव, डा. मनीष जयसवाल ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें श्रद्धांजलि देकर रूंधी गले के साथ अपनी बात कही और उन्हें बताया कि गुरु माता हर छोटी से छोटी जरूरत का ख्याल रखती थी। इस अवसर पर डा. राका राठौड़, प्रोफेसर सत्येंद्र सिंह, डा. संतन कुमार राम, डा. अमित यादव डा. शिवकुमार, डा. संगीता मौर्य, डा. सारिका सिंह डा. दिवाकर मिश्र, डा. सर्वेश कुमार सिंह, डा. निरंजन, डा. रामनाथ केसरवानी आदि प्राध्यापक गण उपस्थित रहे।

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