गाजीपुर।साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में’चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के तहत कवि कामेश्वर द्विवेदी के पीरनगर आवास पर काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य चेतना समाज’ के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने कहा कि – चेतना-प्रवाह की यात्रा अविराम चल रही है और चलती रहेगी। समाज में इसका सुफल दृष्टिगोचर होने लगा है। लोगों में सद् साहित्य के प्रति अभिरुचि जागृत होने लगी है। गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना “स्नेह मिले अति प्रमुदित हों जन/मां तेरे चरणों में वन्दन”से हुआ। व्यंग्य-कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता “कहते हैं आतंक का कोई धर्म नहीं होता फिर हर आतंकी के जनाजे को वो कंधा क्यों लगाते हैं?”सुनाकर श्रोताओं को सोचने के लिए मजबूर किया। अमरनाथ तिवारी अमर ने अपनी चर्चित कविता “आगे बढ़ते उत्साही को/कब रोक सकीं दुर्गम राहें/मंज़िल ख़ुद उसे बुलाती है/फैला करके दोनों बाहें” सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। नवगीतकार डा.अक्षय पाण्डेय ने रचनाकारों के दायित्व-बोध को केंद्र में रखते हुए अपना ‘हम न कहें तो कौन कहेगा’ शीर्षक नवगीत “गहन तमस में दीप जलाते/ सहते घात हमीं/ सच के लिए गरल पीने वाले/ सुकरात हमीं/हम कबीर-रैदास/हमीं तो हैं मीराबाई/हम न कहें तो कौन कहेगा/युग की सच्चाई” सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्यगोष्ठी में संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी, राघवेन्द्र ओझा,अधिवक्ता सुनील कुमार दूबे, मिथिलेश कुमार,आलोकमणि,राजकमल, अंजलि,प्रांजल,प्रगति, कामिनी,आस्था,अर्णव श्यामदेव यादव, उमापति यादव, रामबली चौहान आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता अवधेश दूबे एवं संचालन डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया।