
गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज’ के तत्त्वावधान में’चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के तहत एसएस.पब्लीक स्कूल बवाड़ा के सभागार में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रबन्धक संजय सिंह ने आगंतुक कविगण का सुवस्त्र एवं सम्मान-पत्र के साथ स्वागत किया। गोष्ठी का शुभारंभ मां वीणापाणि की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं दीप-प्रज्वलन के साथ ही महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। युवा कवि चिदाकाश सिंह ‘मुखर’ ने “मोहब्बत में हृदय अपना, अर्पण कर गई मुझको/मेरी गोदी में सर रख, समर्पण कर गई मुझको” सुनाकर ख़ूब प्रशंसा अर्जित की। व्यंग्य-कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने “रहलन बड़ा नियरे अब दूर हो गइलन/सुनीला कि बापू अमीर हो गइलन” सुना कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। युवा नवगीतकार डा.अक्षय पाण्डेय ने देश में चुनाव की वर्तमान दशा को केंद्र में रखते हुए अपना ‘किसको दूं मैं वोट’ शीर्षक नवगीत “तलघर में गहरी सुरंग है/क्या होगा तालों से/कुछ भी बचता नहीं यहा पर/बड़े पेट वालों से/मची हुई है छीना-झपटी/पूरी लूट-खसोट” सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गोपाल गौरव ने अपनी ग़ज़ल “कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है/फिर भी होता नहीं उजाला है प्रस्तुत किया। वरिष्ठ व्यंग्यकार अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने चर्चित व्यंग्य-कविता ‘जाऊॅं विदेश तो किस देश’ की पंक्तियां “यहीं करूंगा राजनीति का करोबार/देश में अपने अच्छा चलेगा यह व्यापार” सुनाकर अतीव प्रशंसा अर्जित की। कवि विजय कुमार मधुरेश ने हास्य-रचनाओं से श्रोताओं को खूब हॅंसाया साथ ही अपना मुक्तक “बन के नेता नया गुल खिलाते रहे/ भाषणों से हमेशा रिझाते रहे” सुनाकर श्रोताओं की खूब प्रशंसा पाई। इस सरस काव्य गोष्ठी में कवि हरिशंकर पाण्डेय ,कवि कन्हैया गुप्त, नागेश मिश्र,कवि दिनेश चंद्र शर्मा, कवि रामपुकार सिंह, श्रोता के रूप में प्रमुख रूप से संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी, विनोद उपाध्याय,भगवती प्रसाद तिवारी,योगेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह,रामकृत यादव, ज्योति भूषण,विनय सिंह, अनिल चौबे, विशाल गुप्ता,राजन सिंह,सुरेश यादव,वृजनाथ यादव,अंजनी कुमार आदि उपस्थित रहे। अन्त में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने आगंतुक कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य वीरेन्द्र सिंह एवं संचालन नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया।
