मशरुम की खेती करें किसानः ओमकार सिंह

 मशरुम की खेती करें किसानः ओमकार सिंह

गाजीपुर। कृषि विज्ञान केन्द्र, पीजी कालेज द्वारा तीन दिवसीय 11 से 13 अक्टूबर तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रशिक्षण हाल में किया गया है। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ओमकार सिंह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है ।मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है।
उन्होनें कहा कि बाजार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है। अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से ज्यादा मिल जाता है। विश्व में मशरूम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, जबकि भारत में मशरूम के उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है। इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है। साल 2019-20 के दौरान भारत में मशरूम का उत्पादन लगभग 1.30 लाख टन हुआ। हमारे देश में मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि के रूप में किया जाता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय खाद्य मूल्यों के कारण मशरूम सम्पूर्ण विश्व में अपना एक विशेष महत्व रखता है।उन्होने कहा कि मशरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, नूडल्स, जैम, अंजीर मशरूम, सॉस, सूप, खीर, ब्रेड, चिप्स, सेव, चकली आदि बनाए जाते हैं।
पीजी कालेज के पादप रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डा. एसएन सिंह ने कहा कि शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाद पदार्थों की आवश्यकता होती है। इसमें से बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है। मशरूम भी उनमें से एक है। यह एक शाकाहारी आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, एण्टिआक्सीडेन्ट आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। मशरूम विटामिन डी वायरल संक्रमण व अन्य स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण को रोकने में लाभदायक साबित होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के सीनियर साइंटिस्ट व हेड डा. आरसी वर्मा ने कहा कि दुधिया मशरूम का उत्पादन जून, जुलाई तक चलता है। ढिंगरी मशरूम सितम्बर महीने से 15 नवम्बर तक लगाया जा सकता है। इसके बाद बटन मशरूम का उत्पादन किया जाता है, जो कि फरवरी.मार्च माह तक चलता है। मशरूम की बुआई से लेकर तोड़ाई तक लगभग 2 से 3 महीने तक लग जाता है। प्रशिक्षण के दौरान डा. डीके सिंह, आशीष कुमार वाजपेयी, सुनील कुमार, कपिलदेव शर्मा सहित 25 किसान उपस्थित थे।

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