टीबी रोगियों की सहायता के लिए कोई भी बन सकता है निःक्षय मित्रः डीपीसी

 टीबी रोगियों की सहायता के लिए कोई भी बन सकता है निःक्षय मित्रः डीपीसी

गाज़ीपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में बृहस्पतिवार को सीएमओ डॉ देश दीपक पाल की अध्यक्षता में विश्व क्षय रोग दिवस पर गोष्ठी और हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। सीएमओ ने कहा कि सामूहिक प्रयास से हम टीबी को वर्ष 2025 तक पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं। इसलिए इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस की थीम “हां! हम टीबी खत्म कर सकते हैं” रखी गई है। वर्ष 2025 तक ग्राम पंचायत, प्रदेश, व भारत को ‘टीबी मुक्त’ बनाने के लिए हम सभी को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि ओपीडी में आने वाले टीबी के लक्षण युक्त रोगियों की टीबी जांच अवश्य कराई जाए। प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले रोगियों में से पांच प्रतिशत और एकीकृत निक्षय दिवस के मौके पर हर माह‌ की 15 तारीख को ओपीडी के 10 प्रतिशत रोगियों की स्पुटम जांच अवश्य हो। जांच में क्षय रोग की पुष्टि होने पर शत-प्रतिशत नोटिफिकेशन कराया जाए। सभी रोगियों को गोद लेने के प्रयास किए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने सभी क्षय रोगियों की एचआईवी, शुगर, स्पुटम और एक्सरे जांच कराने के साथ ही फेफड़ों (पल्मोनरी) की टीबी वाले सभी रोगियों की जांच सीबीनॉट से कराने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि अन्य अंगों (एक्स्ट्रा पल्मोनरी) की टीबी में भी फ्लूड लेकर सीबीनॉट जांच कराई जाए। इससे टीबी के प्रकार की पहचान और सटीक उपचार देने में मदद मिलती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संजय कुमार ने कहा कि विश्व क्षय रोग दिवस के आयोजन का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक टीबी के बारे में जानकारी पहुंचाना है। टीबी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। जन समुदाय को यह भी जानना जरूरी है कि टीबी एक गंभीर रोग है, लापरवाही करने पर यह जानलेवा हो सकता है, यह रोग असाध्य नहीं है। यानि समय से जांच कराकर उपचार कराया जाए तो टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व निःक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत पंजीकृत क्षय रोगियों को पोषण के लिए डीबीटी के माध्यम से प्रतिमाह 500 रुपए की सहायता इलाज पूर्ण होने तक प्रदान की जा रही है। इस सुविधा का लाभ पाने हेतु रोगी को अपना बैंक खाता संख्य कराना अनिवार्य है। इस मौके पर एसीएमओ डॉ मनोज कुमार, जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय, एसटीएस, एसटीएलएस एवं एनटीईपी के अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।
—टीबी के लक्षण
दो सप्ताह से अधिक खांसी, दो सप्ताह तक बुखार रहना, रात में पसीना आना, भूख में कमी, वजन घटना।
इन बातों का रखें ध्यान – टीबी का इलाज शुरू होने पर किसी भी दशा में इलाज अधूरा न छोड़ें। टीबी के जीवाणु खांसने, थूकने और छींकने से फैलते हैं। खांसी या छींक आने पर मुंह को रुमाल या कपड़े से ढकें एवं सार्वजनिक स्थल पर न थूकें।

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