‘जाल नदी के भीतर है, हर पत्थर पर काई…’

 ‘जाल नदी के भीतर है, हर पत्थर पर काई…’

—मनाया गया वरिष्ठ साहित्यकार एवं ख्यातिलब्ध मंच संचालक हरिनारायण हरीश का जन्मदिन

गाजीपुर। वरिष्ठ साहित्यकार एवं ख्यातिलब्ध मंच संचालक हरिनारायण हरीश का 78वां जन्मदिन नगर के तिलक नगर स्थित उनके आवास पर समारोहपूर्वक मनाया गया। समारोह में उपस्थित साहित्यकारों एवं प्रबुद्धजनों ने हरीश जी से जुड़े अपने संस्मरण सांझा किए। कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर उपस्थित लोगों को रससिक्त कर दिया।
डा. अक्षय पांडेय ने अपनी पंक्तियां ‘जाल नदी के भीतर है, हर पत्थर पर काई। हम न कहेंगे तो कौन कहेगा युग की सच्चाई’ सुनाकर कलमकारों को दायित्व बोध कराया। अमरनाथ तिवारी अमर ने अपनी व्यंग्य रचना सुनाकर लोगों को गुदगुदाते हुए सोचने के लिए विवश किया। कामेश्वर द्विवेदी ने अपने ‘गंगा’ प्रबंध काव्य से कई छंद सुनाकर गंगा की महिमा का वर्णन किया। आकाश विजय त्रिपाठी ने शिव वंदना प्रस्तुत किया। डा. संतोष तिवारी ने अपनी रचना के माध्यम से वर्तमान विसंगतियों की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। गोपाल गौरव ने अपनी गजल सुनाकर आनन्दित किया। हरिनारायण हरीश ने मिथकों पर आधारित अपनी चर्चित रचना ‘कर्ण’ सुनाकर ढेर सारी वाहवाही लूटी। कार्यक्रम के अध्यक्ष अनंतदेव पांडेय अनंत ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अपनी चर्चित रचना ‘गंऊवों गांव बुझाते नइखे,अब कतहीं ऊ बाते नइखे’ सुनाकर आयोजन को ऊंचाई प्रदान की। इस अवसर पर रामजी केशरी, वंश नारायण राय, अनुराग सिंह, मंजू हरीश, अनामिका सिंह, अक्षिता, रक्षित, संगीता तिवारी, रागिनी तिवारी आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकारअनन्तदेव पांडेय अनंत तथा संचालन सुपरिचित नवगीतकार डा. अक्षय पांडेय ने किया। अंत में हरिनारायण हरीश ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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