अपने जन्मदिन पर चंदन ने कराया लावारिश शव का अंतिम संस्कार

 अपने जन्मदिन पर चंदन ने कराया लावारिश शव का अंतिम संस्कार

—समाजसेवी कुंवर विरेंद्र की पहल पर की नेकी, वृद्धाश्रम में किया मिष्ठान का वितरण

गाजीपुर। समाजसेवा के क्षेत्र में अपने अच्छे कार्यों की वजह से तेजी से लोकप्रियता हासिल करने वाले कुंवर विरेंद्र सिंह की अच्छी सोच को पसंद करते हुए लोग उनसे जुड़ रहे हैं। उनके साथ लोगों की मदद कर इंसानियत की मिशाल पेश कर रहें। इसी क्रम में समाजसेवी के साथी चंदन सिंह ने अपने जन्मदिन पर कुंवर विरेंद्र सिंह के साथ एक अज्ञात लावारिश वृद्धा के शव का पोस्टमार्टम कराने के साथ ही उसका अंतिम संस्कार कराया। इसके बाद वृद्धा आश्रम पहुंचकर वृद्धजनों में मिष्ठान का वितरण कर उनके साथ अपने जन्मदिन की खुशियां बांटी।

चंदन सिंह ने बताया कि मैं समाजसेवी कुंवर विरेंद्र सिंह द्वारा लावारिस घायलों का उपचार कराने, लावारिस शवों का पोस्टमार्टम के साथ ही अंतिम कराने सहित समाजसेवा के क्षेत्र में अन्य अच्छे कार्यों से प्रभावित होते हुए उनका सम्मान करता हूं। बीते दिनों मेरा जन्मदिन था। मैं अपने जन्मदिन पर मन में नेकी की सोच लिए कुंवर विरेंद्र सिंह से मिला। श्री सिंह के आग्रह पर उनके और शिवराम सिंह, अभिषेक सिंह रितुल सिंह के साथ मैंने एक अज्ञात वृद्धा माता जी के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उनका अंतिम संस्कार कराया। इसके बाद वृद्धाश्रम पहुंचकर माता-पिता तुल्य वृद्धजनों में मिष्ठान आदि का वितरण कर उनके साथ अपने जन्मदिन की खुशियां बांटी।

ऐसे करने से मेरे मन को बहोत सुकून मिला। जन्मदिन तो मैं कई वर्षों से मना रहा हूं, लेकिन इस बार जन्मदिन मेरे के लिए खास बन गया, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता। मेरे द्वारा अपने जन्मदिन पर इस नेकी का श्रेय अपने भाई कुंवर विरेंद्र सिंह को देता हूं, जिनकी प्रेरणा से मैं अच्छा कार्य कर पाया। आपको बता दें कि कचहरी निवासी कुंवर विरेंद्र समाजसेवा के क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यह लावारिस घायलों का उपचार कराने, उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने के साथ ही लावारिस शवों को अंतिम संस्कार कराते हैं। यह नहीं कोरोना काल में जब मृत्यु के दौरान अपने ही अपनों का शव छूने से कतराते थे, इस दौर में भी विरेंद्र ने अपनी जान की परवाह किए बगैर तमाम ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कराया। कुंवर विरेंद्र सिंह के इस कार्य के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अपने लिए तो सब जीते, लेकिन दूसरों के लिए जीने का मजा ही कुछ और है।

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