गाजीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से सकलेनाबाद में ऐतिहासिक भरत मिलाप संपन्न हुआ। प्रभु श्री राम 14 वर्ष वनवास के अंतराल रावण को मारकर लक्ष्मण सीता जामवंत हनुमान सुग्रीव के साथ पुष्पक विमान से वापस अयोध्या के लिए प्रस्थान कर देते हैं। रास्ते में प्रभु श्री राम भारद्वाज मुनि के आश्रम पर विश्राम करते हैं। वे अपने सबसे प्रिय सेवक श्री हनुमान को आने का संदेश भाई भरत के पास अयोध्या भेजते हैं। प्रभु श्री राम का संदेश लेकर श्री हनुमान जी ब्राह्मण का भेष धारण करके अयोध्या पहुंचते हैं, जहां भरतजी अपने बड़े भाई प्रभु श्री राम की चरण पादुका सिंहासन पर विराजमान करके अयोध्या का कार्य भार देखते हुए प्रभु श्री राम के आने की राह देख रहे थे और अपने मन में विचार करते थे कि श्री राम के वनवास काल मैं एक दिन शेष रह गया है। भरत जी इतना सोच ही रहे थें कि प्रभु श्री राम का संदेश लेकर हनुमान जी ब्राह्मण का भेष धारण करके अयोध्या पहुंचते हैं और श्री राम लक्ष्मण सीता जी के आने का संदेश महाराज भरत को सुनाते हैं। प्रभु श्री राम के आने की शुभ संदेश सुनकर भरत जी ने कहा कि को तुम्ह तात कहां ते आए। मोहि परम प्रिय वचन सुनाएं । हे तात आप कौन हो कहां से आए हो कृपा करके आप मुझे अपना परिचय बताने का कष्ट करें। महाराज भरत की बात को सुनकर हनुमान जी ने अपना परिचय देते हुए कहा कि मारुतसुतमैकपिहनुमाना। नामु मोर सुनु कृपा निधान। महाराज मैं प्रभु श्री राम का सेवक हूं मेरा नाम हनुमान है। प्रभु श्री राम ने अपने आने का संदेश आपके पास भेजा है।रिपु रन जीति सुजस सुरगावत। सीता सहित अनुजप्रभु आवत। श्री राम लंका पति रावण आदि राक्षसोंको मार कर सकुशल लक्ष्मण सीता सहित अयोध्या के लिए प्रस्थान कर दिए हैं। इस समय वे भारद्वाज मुनि के आश्रम पर ठहरे हुए हैं।
इतना सुनते ही महाराज भरत जी ने हनुमान जी से कहा कि, कपितव दरश सकल दुःख बीते। मिले आज मोहि राम पिरीते। हे तात आपके दर्शन पाकर तथा प्रभु श्री राम के आने की संदेश सुनकर मेरा सारा दुख दूर हो गया। उधर हनुमान जी भरत को संदेश देकर वापस प्रभु श्री राम के पास पहुंच जाते हैं। महाराज भरत अपने बड़े भाई श्री राम के आने की सूचना पाते ही कुलगुरु वशिष्ठ, भ्राता शत्रुघ्न के साथ रथ पर सवार होकर अयोध्या से श्री राम से मिलने भारद्वाज मुनि के आश्रम के लिए प्रस्थान कर देते हैं। वहां पहुंचकर रथ को भारद्वाज मुनि के आश्रम से पूर्व भरत शत्रुघ्न दोनों भाई आश्रम पर पहुंचकर श्री राम के चरणों में गिर पड़ते हैं प्रभु श्री राम ने भरत को उठाकर अपने गले से लगा लेते हैं। चारों भाईआपस में मिलते हैं। चारों भाइयों के मिलते हुए को देखकर उपस्थित जनसमूह हर हर महादेव एवं जय श्री राम के नारो से लीला स्थल गुंजायमान कर दिया। इस दौरान सकलेनाबाद निवासी जदयू के प्रदेश प्रवक्ता विनित तिवारी अपने साथियो के साथ एक कुंतल की माला प्रभु श्री राम को पहनाकर आशीर्वाद लिये। इस मौके पर कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष विनय कुमार सिंह, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी बच्चा, उप प्रबंधक पं0 लव कुमार त्रिवेदी मेला प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी मेला उप प्रबंधक मयंक तिवारी कोषाध्यक्ष बाबू रोहितअग्रवाल, कृष्णांश त्रिवेदी सरदार राजन सिंह, रोहित पटेल आदि उपस्थित रहे।