सावन के दूसरे सोमवार को शिव मंदिरों में बही अस्था की बयार
—कोविड-19 के गाइड पालन का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने की आराधना
गाजीपुर। सावन के दूसरे सोमवार को शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में भोले के दीवानों ने दर्शन-पूजन किया। सुबह से ही पूजन-अर्चन का जो सिलसिला शुरु हुआ, वह देर शाम तक जारी रहा। औघड़दानी को खुश करने के लिए श्रद्धालुओं ने भांग-धतूरा, बेल पत्र आदि चढ़ाकर उनसे परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। मरदह स्थित महाहर धाम में दर्जनों कांवरियों ने शिव का जलाभिषेक किया। कोरोना वजह से भक्तों की संख्या कम रही। श्रद्धालुओं ने कोविड-19 के गाइड लाइन का पालन करते हुए दर्शन-पूजन किया। दर्शन-पूजन करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रही।
सूर्योदय होते ही शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में घंट-घडियाड़ की आवाज गूंजने लगी। इसके बाद श्रद्धालुओं के घरों से निकलने का क्रम शुरु हो गया। नौ बजते-बजते शिव मंदिरों में अच्छी-खासी संख्या में भक्त पहुंच गए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने देवाधिदेव का जलाभिषेक करने के साथ ही भांग-धतूरा और बेलपत्र चढ़ाकर उनसे परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। शहर के गोराबाजार स्थित बूढ़ा महादेव, लालदरवाजा स्थित शिव मंदिर, रायगंज स्थित मंदिर और चीतनाथ स्थित शिव मंदिर, मिश्रबाजार स्थित शिव मंदिर में भक्त पहुंचे। बूढ़ामहादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही। लालदरवाजा स्थित मंदिर में भक्तों ने भोले का पूजन-अर्चन करने के बाद बगल में स्थित साई नाथ का भी मत्था टेका। मरदह के महाहर धाम में भी श्रद्धालुओं के साथ दर्जनों कांवरियां पहुंचे। उन्होंने भोले का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। जलाभिषेक के बाद भक्तों ने अन्य देवी-देवताओं का भी दर्शन-पूजन किया। हर-हर महादेव के जयघोष से समूचा वातावरण शिवमय बना रहा। इसी तरह सैदपुर के कोल्हुआघाट स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, उसियां के शिवमंदिर, करीमुद्दीनपुर क्षेत्र के असावर स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर, करीमुद्दीनपुर स्थित ऊंचाडीह नागेश्वर महादेव मंदिर, गहमर के बूढ़ा महादेव मंदिर, दुल्लहपुर बाजार स्थित शिव मंदिर, जमानिया के महेवा गांव स्थित बाबा महेश्वर नाथ मंदिर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिव मंदिरों पर भक्तों भोले की आराधना की। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से भक्तों की संख्या कम रही। मंदिरों पर मौजूद पुलिस कर्मी श्रद्धालुओं को कोविड-19 का हवाला देते हुए बारी-बारी से दर्शन कराते रहे थे।