‘कीचड़ सने पांव’ काव्य संग्रह का विमोचन

 ‘कीचड़ सने पांव’ काव्य संग्रह का विमोचन

जमानियां (गाजीपुर)। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय सभागार में हिंदी विभाग की ओर से सौरभ साहित्य परिषद बरुइन के संस्थापक व वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह के कविता संग्रह ‘कीचड़ सने पांव’ का बुधवार को लोकार्पण और परिचर्चा आयोजित हुआ। इसका शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद पुस्तक का विमोचन किया गया।पूर्व प्राचार्य प्रो० अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने कहा कि साहित्य एक सांस्कृतिक उत्पाद है। समाज को रचनाकार के प्रति ऋणी का भाव होना चाहिए। यह काव्य संग्रह स्वातंत्र्योत्तर भारत के राजनीतिक ढांचे एवं भारतीय समाज के बड़े मुद्दों से सीधे टकराता है। बड़ा रचनाकार दो समयांतराल के बीच एवं दो महापुरुषों के बीच किस तरह एक संवाद स्थापित करता है। उन्होंने पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किताबी ज्ञान के साथ मानवीय मूल्य और नैतिकता की पढ़ाई भी जरूरी है जो हमारे संस्कारों से परिष्कृत होती है। सरस्वती पत्रिका के संपादक व वरिष्ठ समालोचक कवि रविनंदन सिंह ने कहा कि कविता निज से परा की तरफ का सफऱ तय करती है। अस्तित्ववादी कविता में कम्पन की कमी रह जाती है। जो कविता युद्ध नहीं छेड़ती, वह भांजवादी कही जाएगी। कवि स्वयंभू होता है। वह अपनी रचना से बुराई रुपी डाल को काटकर प्रगतिशील समाज की रचना करता है। जिस प्रकार सर्प अमृत रूपी दूध का पान करके विष उगलता है। उसी तरह स्वस्थ समाज की बेहतर संरचना के लिए साहित्यकार बुराई के बीच रहकर अपने बेबाक लेखन से स्वस्थ समाज की बेहतर संरचना करता है। विधायक प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने कहा कि कविता जीवन की गाथा होती है। इस बदलते दौर में हम सबकी जिम्मेदारी है कि कविता बची रहे। इस मौके पर प्राचार्य डा० श्रीनिवास सिंह, डा० मदन गोपाल सिन्हा, नवगीतकार कुमार शैलेन्द्र, कवि गजाधर शर्मा गंगेश, कवि कामेश्वर दूबे, प्रबंधक उपेंद्र सिंह शिव, शिक्षक उमाशंकर सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ सुरेश राय, डॉ विजय श्याम पांडेय, जितेंद्र सिंह, बच्चन उपाध्याय, प्रो अरुण कुमार, डॉ संजय कुमार सिंह, डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ ओम प्रकाश लाल श्रीवास्तव, अभिषेक तिवारी, संसार सिंह, मनोज कुमार पांडेय सहित छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। अध्यक्षता हीरालाल उपाध्याय व संचालन कवि मिथलेश गहमरी ने किया। आभार वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने व्यक्त किया।

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