उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहींःमंजू गोंड

 उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहींःमंजू गोंड

—महिलाओं पर हिंसा और दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ धरना-प्रदर्शन

गाजीपुर। प्रदेश में लगातार महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ एपवा और इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ताओं ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कामरेड सरजू पांडेय पार्क में शुक्रवार को धरना-प्रदर्शन किया। इस मौके पर एपवा की जिला सह सचिव मंजू गोंड ने कहा कि हाथरस से लेकर लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, बंदायू, मेरठ, मुरादाबाद और औरैया आदि जिलों की विभत्स घटनाएं यह साबित कर रही है कि योगी राज में महिला/दलित उत्पीड़न अपने चरम पर है, जिसकी पुष्टि खुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़े कर रहे है।

उन्होंने कहा कि लखीमपुरखीरी से लेकर मुरादाबाद की शर्मनाक घटनाएं बता रही है कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए है, उन्हें कानून का कोई खौफ नहीं है। क्योंकि पुलिस खुद अपराधियों को संरक्षण देकर मनोबल बढ़ा रही है। गाजीपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के आवास विकास कालोनी निवासी हनुमान प्रजापति के दो लड़के 84 दिन से गायब है। 18 दिनों से परिवार आमरण अनशन पर है, लेकिन आज तक सचितानंद और नागेंद्र को पुलिस बरामद नहीं कर पाई है, जो बेहद शर्मनाक है। दिनदहाड़े कुर्था गांव में सेना के जवान की पत्नी की निर्मम तरीके से हत्या और हत्यारों का अभी तक न पकड़ा जाना गाजीपुर पुलिस प्रशासन के माथे पर कलंक है। सेवराई की विधवा महिला की जमीन और रुपए हड़पने के लिए निर्मम तरीके से पिटाई कर रेलवे ट्रैक पर फेंककर ट्रेन दुर्घटना दिखाने की नापाक कोशिश इसका ताजा उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि अपने 6 महीने के कार्यकाल के कसीदे गढ़ते हुए मुख्यमंत्री सरकारी आंकड़ों को नकारते हुए उत्तर प्रदेश में विकास और कानून व्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी खुद सरकारी आंकड़ों को नकारते हुए अपराध पर काबू पाने, महिलाओं पर हिंसा, हत्या, बलात्कार पर रोक लगाने और हर महिला के लिए यूपी को सुरक्षित करने के बजाय यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहे है कि यूपी पुलिस अपराधियों को 24 घंटे में गिरफ्तार कर ले रही है, जबकि हम जानते हैं कि हाथरस की दलित छात्रा को आज तक न्याय नहीं मिल सका है। मंजू गोंड ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी यूपी में पुरुष सत्तात्मक वर्चस्ववादी, जातिवादी, अहंकारी बुलडोजर राजनीति के प्रतीक बन गए है, जहां महिला सम्मान की कोई जगह नहीं बची है, बल्कि पूरे प्रदेश में गरीबो, दलितों, महिलाओं के हक अधिकार को कुचला जा रहा हैं। इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में कानून राज की बात करते है, लेकिन महिला उत्पीड़न के अधिकांश मामलों में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है, उल्टे कई थानों में रिपोर्ट लिखवाने गई महिलाओं के साथ बद्सलूकी की घटनाओं तक की खबरे आ रही हैं। इन अपराधों के लिए थाना प्रभारियों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। इससे यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ महिला सशक्तिकरण का ढोंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि यूपी दलित उत्पीड़न में भी शर्मनाक ढंग से अव्वल है। राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के औरैया में कक्षा-10 के छात्र की पीटकर हत्या कर दी जाती है और मुख्यमंत्री दलित उत्पीड़न पर चुप्पी साधे हैं।
( माले) जिला सचिव रामप्यारे राम ने कहा कि योगीराज में गरीबो के आर्थिक विकास का कोई मॉडल काम नहीं कर रहा है। आज प्रदेश में ऐसी ह्रदयविदारक घटनाएं भी घट रही हैं, जहां महिलाएं आर्थिक तंगी से अपने बच्चों समेत आत्महत्या करने के लिए मजबूर हों रही हैं। महिलाओं के सम्मानजनक रोजगार की कोई गारंटी नहीं है, बल्कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महंगी फीस नौजवान महिलाओं के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा से महरूम कर रही है। अंत में मुख्यमंत्री को संबोधित पांच सूत्रीय मांग पत्र एस डीएम सदर को सौंपा। धरना-प्रदर्शन को शकुंतला देवी, किरन देवी, सोनी, इंनौस नेता सोनू रावत, आशुतोष कुमार, योगेश उपाध्याय, योगेंद्र भारती ने भी संबोधित किया।

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