एंबुलेंस से जुड़ रही जीवन के शुरुआत की कहानी

 एंबुलेंस से जुड़ रही जीवन के शुरुआत की कहानी

—जारी है 102 एंबुलेंस में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने का क्रम

गाजीपुर। एंबुलेंस से जुड़ रही जीवन के शुरुआत की कहानी। यह शब्द आपको थोड़ा अटपटा जरुर लग रहा होगा, लेकिन यह सच है। क्योंकि हम बात कर रहे हैं सरकार द्वारा संचालित खासकर 102 एंबुलेंस की। इस एंबुलेंस में अभी तक गूंजने वाली किलकारियों पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले कुछ माह में एक दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाएं सकुशल बच्चे को जन्म दे चुकी हैं। इसी क्रम में बीते शुक्रवार को भी 102 एंबुलेंस में एक गर्भवती ने बच्चे को जन्म दिया।
जिले में 102 और 108 एम्बुलेंस ने अपनी सेवा के लिए आमजन में काफी लोकप्रियता हासिल कर ली है। कारण की यह सेवा निशुल्क होने के साथ ही फोन करने के पश्चात क्विक रिस्पांस कर बताए गए लोकेशन पर पहुंचती है। कुछ ऐसा ही शुक्रवार को हुआ, जब सैदपुर ब्लाक के फत्तेपुर ग्रामसभा से एक कॉल आया और बताया गया कि गर्भवती को प्रसव पीड़ा है। इसके बाद इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन अमरेंद्र कुमार और पायलट पिंटू यादव बताए गए लोकेशन पर 108 एंबुलेंस को लेकर पहुंचे। वहां से गर्भवती सुषमा पत्नी धर्मेंद्र को लेकर स्वास्थ्य केंद्र के लिए चलें। 102 और 108 एंबुलेंस के ब्लाक प्रभारी मोहम्मद फरीद ने बताया कि एम्बुलेंस से लाते समय रास्ते में बहेरी रेलवे क्रॉसिंग के पास गर्भवती को तेज प्रसव पीढ़ा बढ़ा गया। इस पर आशा कार्यकर्ता और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन की मदद से सड़क किनारे एम्बुलेंस के अंदर प्रसव कराया गया। जहां गर्भवती ने बच्चे को जन्म दिया। इसके पश्चात जच्चा और बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खानपुर ले जाया गया और भर्ती कराया गया, जहां पर डाक्टरों ने जच्चा और बच्चा को स्वास्थ्य बताया। आपको बता दें कि पहली ऐसा नहीं हो रहा कि कोई गर्भवती अस्पताल आते सम एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिन दे रही है। पिछले कुछ माह पर नजर दौड़ाई जाए तो एक दर्जन से अधिक महिलाओं का एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव कराया गया है। इससे यह बात कहनी गलत नहीं होगी कि एंबुलेंस से जुड़ रही जीवन के शुरुआत की कहानी। जब कभी नाते-रिश्तेदारों सहित अन्य कोई बच्चे के मां या पिता से यह पूछेगा उसका जन्म घर, सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल में हुआ तो वह उन्हें यह बताएंगे कि नहीं, उसका जन्म एंबुलेंस में हुआ था।

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