गाजीपुर। अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से तीन अकटूबर की रामलीला में प्रभु श्री राम लक्ष्मण सीता की शोभायात्रा बाजे गाजे के साथ शुरू हुआ। जो महाजनटोली, झुन्नू लाल चौराहा, आमघाट, ददरीघाट चौक, महुआबाग चौक होते हुए पहाड़ खां पोखरा के निकट राम जानकी मंदिर तक पहुंच कर समाप्त हुआ। बताते चलें कि प्रभु श्री राम माता पिता के आज्ञा पर 14 वर्ष के लिए लक्ष्मण और सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान कर देते हैं। वनवास के दौरान प्रभु श्री राम पहला विश्राम तमसा नदी के तट पर करते हैं। इसके बाद रथ पर सवार होकर श्रृंगवेरपुर के लिए चलते देते हैं। वहां के राजा निषाद राज जब अपने दूतों के द्वारा अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र श्री राम के आने की सूचना पाते हैं। यह सुधिगुहं निषाद जब पाई। मुदित लिए प्रिय बंधु बुलाई। वे अपने दरबारियों और मंत्री के साथ श्रीराम के स्वागत के लिए अपने दरबार से चल देते हैं। वे श्रीराम को देख कर अति प्रसन्न होते हैं, तथा उन्हें अपने राज दरबार में चलने का आग्रह करते हैं। श्री राम ने उनके आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहते हैं कि मुझे 14 वर्ष तक वन में ही समय बिताना है। निषाद राज के काफी अनुनय विनय के बाद भी श्रीराम ने उनके दरबार में जाने से इनकार करते हुए कहते हैं कि मेरे लिए आप इसी वृक्ष के नीचे ठहरने की व्यवस्था करें। श्रीराम के कथनानुसार निषाद राज ने उनके ठहरने की समुचित व्यवस्था अपने मंत्री द्वारा करवाते हैं। श्री राम व निषाद राज का मिलन हुआ।इस मौके पर कार्यवाहक अध्यक्ष विनय कुमार सिंह, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, मेला प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, मेला उप प्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, राम सिंह यादव, सरदार राजन सिंह, उपस्थित रहे।