किसका कायम रहेगा वर्चस्व और किसका टूटेगा गुरूर ?

 किसका कायम रहेगा वर्चस्व और किसका टूटेगा गुरूर ?

गाजीपुर। जिले में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया है। चुनाव खत्म हो जाने के बाद जहां विभिन्न दलों के 94 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई, वहीं जिले के सियासी जगत के सियासी पंडितों की प्रतिष्ठा ईवीएम में बंद हो गई। अब इन सभी के भाग्य का फैसला 10 मार्च को मतों की गणना के बाद होगा। लेकिन इतना तो तय है कि नतीजों की घोषणा के बाद जहां कोई अपना दबदबा साबित करेगा, वहीं किसी का गुरूर टूटेगा।
जिले सातवें और अंतिम चरण में विधानसभा का चुनाव बीते 7 मार्च को कराया गया। जोश और उत्साह के बीच जनपद में कुल 2807562 पुरुष-महिला मतदाताओं ने भाजपा, सपा, बसपा और अन्य दलों तथा निर्दलों प्रत्याशियों के साथ ही कुल 94 प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगाते हुए उनकी किस्मत ईवीएम में कैद कर दिया। चुनावी जंग जीतने के लिए जहां ताल ठोंक रहे सभी उम्मीदवारों ने दिन-रात एक कर दिया था, वहीं जिले की राजनीति के कई सूरमा भी अपने उम्मीदवारों के लिए हुंकार भरते रहे। हालांकि इस बार के चुनाव में भाजपा और सपा आमने-सामने है। जिले की सातों विधानसभा सीटों पर लोगों की निगाहे टिकी हुई है। चुनाव संपन्न होने के बाद लोग यह कयास लगाने में जुट गए है कि किस विस क्षेत्र में किस पार्टी का झंडा लहरेगा। कितना सीट बीजेपी, सपा और कए सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में जाएगी। इसके लिए राजनीतिक पंडित वोटों की गुणा-गणित करने में भी जुटे हुए है। इस सियासी जंग में किसको शह और किसको मात मिलती है, यह तो 10 मार्च को मतों की गणना के बाद चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद ही पता चलेगा। अब देखना है कि नतीजा आने पर सियासत के किस सूरमा का वर्चस्व कायम रहता है और किसका गुरूर टूटता है।

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