गुप्त जी ने भारतीय उपेक्षिताओं को साहित्य का विषय बनायाःओम धीरज
—कवि दिवस के अवसर पर आयोजित हुई विचार और सह कवि गोष्ठी
गाजीपुर। “गाधिपुरी साहित्य संग्रहालय एवं शोधसंस्थान, गाजीपुर“ के तत्वावधान में हिंदी एवं भोजपुरी के प्रसिद्ध नवगीतकार एवं पूर्व अपर आयुक्त ओमधीरज के आवास पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म दिवस जो कवि दिवस
के रूप में मनाया जाता है, के अवसर पर एक विचार गोष्ठी सह कवि गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी के प्रथम चरण का विषय प्रवर्तन करते हुए ओम धीरज जी ने गुप्त जी के जीवन एवं साहित्य से जुड़े हुए विविध प्रसंगों को रखने हुए कहा कि भारतीय उपेक्षिताओं को साहित्य का विषय बनाया एवं उन्हें साहित्य में विशिष्ट स्थान दिलवाया।
मंच संचालक एवं कवि हरीश जी ने कहा कि गुप्त जी भारतीय सांस्कृतिक चेतना के उत्थान में विशेष योगदान दिया है। वरिष्ठ प्रबंधकार कामेश्वर द्विवेदी ने गुप्त जी के सहज एवं सरस काव्य एवं उनकी छान्दसिकता पर प्रकाश डाला। गजाधर शर्मा गंगेश ने उनके गीति तत्व को सामने रखते हुए कहा कि गुप्त जी के चर्चित गीतों की महत्ता कहीं से भी किसी भी समकालीन कविता से कम नहीं है। युवा नवगीतकार डा. अक्षय पाण्डेय ने कहा कि गुप्त जी लोकतांत्रिक मूल्यों एवं भारतीय परम्परा के संरक्षण के कवि हैं। माधव कृष्ण ने उनके साहित्य का वशद् विवेचन करते हुए गुप्त जी को सच्ची भारतीयता एवं परम्परा के उद्दात्त स्वरूप को अपने साहित्य में स्थान देने वाला श्रेष्ठ कवि कहा। नगर के वरिष्ठ उपन्यासकार रामावतार ने कविताओं को मानवीय मूल्यों की संस्थापना करने वाला एक महान कवि कहा। अंत में विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अनंतदेव पाण्डेय ने खण्डित मनुष्यता को पूर्णता प्रदान करने वाला महा कवि कहा साथ ही उनके इस संदर्भ के विविध सरस गीतों को सुनाया। इस गोष्ठी के दूसरे चरण में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें अनंतदेव पाण्डेय, हरिनारायण हरीश, कामेश्वर द्विवेदी, ओम धीरज, डा. अक्षय पाण्डेय, गोपाल गौरव, गजाधर शर्मा गंगेश एवं माधव कृष्ण ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर साहित्य चेतना के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर, अवधेश दुबे एवं साहित्य चेतना समाज के संगठन मंत्री प्रभाकर त्रिपाठी उपस्थित रहे। नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र चौबे ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया। अध्यक्षता श्री अनंतदेव पाण्डेय ‘अनन्त’ एवं संचालन संचालन हरिनारायण हरीश एवं ने किया।