गाजीपुर। चिन्मय भारत एकेडमी में आयोजित कार्यक्रम में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के कुलपति प्रोफेसर कृष्ण कुमार सिंह ने साहित्यकार दिनेश राय की दो पुस्तक ‘संसुका’ और ‘रमखिरिया’ का विमोचन किया। अध्यक्षता कर रहे पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह तथा डॉ० जनार्दन राय आदि ने दीप प्रज्वलन तथा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। केंद्रीय विद्यालय गाज़ीपुर में हिंदी के प्रवक्ता नीरज राय ने आगंतुक अतिथियों साहित्यकारों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि संसुका तीन लंबी कहानियों- संझला, सुनैना और कागहि कहा कपूर चुगाए का संग्रह है और इसका नामकरण पुस्तक में सम्मिलित कहानियों के प्रथम अक्षर को मिलाकर बनाया गया है । दिनेश राय ने कहा की कहानियां कल्पित होते हुए भी वास्तविकता के निकट होती हैं तथा इसके पात्र और घटनाएं हमारे आसपास के ही होते हैं। कुलपति प्रोफेसर कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि दिनेश राय से मेरा परिचय हाल ही में हुआ है किंतु जहां तक मैंने उनकी कृतियों को पढ़ा है और यहां आने के बाद जो कुछ वक्त उनके साथ व्यतीत किया है। इनकी कहानियां और कविताओं में जीवन के बृहद क्षेत्र का जीवंत वर्णन देखने को मिलता है। प्रोफेसर कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि मुझे यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि अब तक उनकी कृतियों का प्रकाशन क्यों नहीं हुआ। समाज को ऐसे रचनाकारों और रचनाओं की वर्तमान समय में बहुत आवश्यकता है। पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा कि आज के समय में दिनेश राय जैसे सहज और प्रेरक व्यक्तित्व के समाज को बहुत आवश्यकता है। उनकी रचनाएं और उनके पात्र वर्तमान और भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होंगे। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार और समीक्षक डॉक्टर जनार्दन राय ने कहा कि वर्तमान समय में पुस्तक पढ़ने की अभिरुचि लोगों में समाप्त होती जा रही है। मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं की दिनेश राय का यह कहानी संग्रह जिनके भी हाथों में जाएगा वह लोग इनकी सहज शैली से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। इससे पूर्व हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ परमेश्वर नाथ राय ने कहा कि मैं दिनेश राय और उनकी रचनाओं से लगभग 45 वर्षों से परिचित हूं। विगत कई वर्षों से मेरी यह प्रबल इच्छा थी की उनकी पुस्तकों का प्रकाशन होना चाहिए। आज यह सुखद संयोग है कि दिनेश राय जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर अपने जीवन के अमृत वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और आज ही इनकी दो पुस्तकों का प्रकाशन इस दिशा में सकारात्मक शुरुआत माना जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लगभग आधा दर्जन से अधिक काव्य संग्रह, कहानी संग्रह, संस्मरण आदि की पांडुलिपियां तैयार हैं और इस वर्ष और आगामी वर्षों में उनका भी प्रकाशन होगा। कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ रामबदन राय ,गीतकार डॉक्टर कमलेश राय ,साहित्यकार गजाधर शर्मा ‘गंगेश’,साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’, गिरिजा शंकर राय, मार्कंडेय राय, विनय पांडे, पंकज राय, यशवंत सिंह, डॉ विनीता राय, अखिलेश त्रिपाठी, हरे राम राय, रत्नेश राय, अंशुमन राय, केशव राय, अवधेश राय, सुशील अग्रवाल, राघवेंद्र ओझा, भारती राय, चंदा राय, संध्या राय, रश्मि राय, कामेश्वर द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। संचालन स्वामी सहजानंद पीजी कालेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार ‘अनंग’ ने किया। शेषनाथ राय ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।