चंदन से भी पवित्र है सिद्धपीठ हथियाराम की मिट्टीःभवानी नंदन यति

 चंदन से भी पवित्र है सिद्धपीठ हथियाराम की मिट्टीःभवानी नंदन यति

गाजीपुर। सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विजय दशमी पर परम्परानुसार ध्वज, शिव, शक्ति, शस्त्र, शात्र व शमी की पूजा हुई। पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यतिजी महाराज ने अन्य लोगों के साथ सिद्धेश्वर महादेव के साथ ही शमी वृक्ष की पूजा की। अंत में पीठाधीश्वर ने बुढ़िया माई को भोग लगा हलवा-पूरी का महाप्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया।

साढ़े सात सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ की आराध्य भगवती बुढ़िया माई (वृद्धाम्बिका देवी) के दरबार में नवरात्र पर्यन्त चले यज्ञ-जप व धार्मिक अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ ही दशहरा के दिन सदियों से चली आ रही परम्परानुसार सिद्धपीठ के 26वें पीठाधिपति महामण्डलेश्वर भवानीनंदन यति ने वैदिक ब्राह्मणों के साथ प्रातःकाल से ही हरिहरात्मक पूजन, शस्त्र पूजन, शात्र पूजन व ध्वज पूजन के बादशक्ति पूजन की प्रतीक व सिद्धपीठ की अराध्या भगवती बुढ़िया माई को परम्परागत पवित्र हलुआ पूड़ी का भोग लगाया। इसके बाद अपार श्रद्धालुओं के समूह के साथ सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर भगवान सिद्धेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक द्वारा शिवपूजन, पवित्र शमी वृक्ष की पूजा की गई। संत सभा में स्वामी भवानीनंदन यति ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि अति प्राचीन सिद्ध संतों की तपस्थली सिद्धपीठ अध्यात्म जगत में तपोभूमि के रूप में विख्यात है। अमृतमयी बुढ़िया माई की कृपा व सिद्ध संतों के तप से आज यहां की माटी भी अमृत के समान हो गई है। यहां के सिद्ध संतों के ज्ञानरूपी प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत आलोकित है। मैं स्वयं इस पीठ के माटी की सेवा का अवसर प्राप्त कर अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने लोगों से अपने अंदर छिपी बुराइयों का परित्याग कर सत्य आचरण करने की अपील की। कहा कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हो चुकी है।

यहां की मिट्टी चंदन से भी पवित्र है। इस शारदीय नवरात्र के महा पूजन का समापन विजयादशमी के माध्यम से हो रहा है। जहां पर ध्वज, शिक्षा, शस्त्र, शास्त्र, शिव पूजन, शमी पूजन, गीता, गुरु का पूजन किया जाता है। जहां भगवत की चर्चा होती है, वही राम भवन, कनक भवन, अयोध्या है। यहां सैकड़ों वर्ष से राम की चर्चा होती चली आ रही है। भारत के पूर्वज ऐसे नाम रखते थे, जो भगवान के नाम पर जाने जाते थे। सिद्धपीठ के गुरुजनों ने भाषण ही नहीं की, बल्कि राशन की भी व्यवस्था की, जो राष्ट्र भारत को जोड़ने का काम किए। कहा कि माला जपने से भजन नहीं होता, जो भजन गौ सेवा से हो, साफ सफाई, मंदिर बनवाना भी भजन है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा कर्म करते रहो, अगरबत्ती धूप माला राम राम कहने से भजन नहीं है। विचार को अच्छा रखना ही भजन कहलाता है। विजयादशमी के दिन मठ पर बुढ़िया मां का चढ़ाया गया भोग प्रसाद हलवा-पूरी पाने के लिए शिष्यों ने कतारबद्ध ढंग से महामंडलेश्वर महंत श्री भवानी नंदन यति महाराज के हाथों से प्रसाद लिया। इसे पाने के लिए क्षेत्र के ही नहीं अन्य प्रांतों के लोग भी सिद्धपीठ पर पहुंचे थे। इस मौके पर संत देवरहा बाबा, साध्वी निष्ठा, एसडीएम सूरज यादव, क्षेत्राधिकारी गौरव सिंह, आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश जी, लोक सेवा आयोग के सदस्य रामजी मौर्य, जितेंद्र नारायण सिंह ‘वैभव’, जंगीपुर के सपा विधायक डा. वीरेन्द्र यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू प्रताप सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वृजेन्द्र राय, पारसनाथ राय, रमेश, श्रीराम, आनन्द मिश्रा, संतोष यादव, हरेंद्र, डा. रत्नाकर त्रिपाठी, डा. अमिता दूबे, प्रभुनाथ दुबे, लौटू प्रसाद, अरविन्द गुप्ता, सुनील सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। महाविद्यालय की छात्राओं ने संस्कृत में स्वागत गान और श्रीराम पर आधारित काव्यपाठ किया।

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