सत्यदेव ग्रुप आफ कालेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की मनाई गयी पांचवीं पुण्यतिथि

 सत्यदेव ग्रुप आफ कालेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की मनाई गयी पांचवीं पुण्यतिथि

गाजीपुर। शिक्षा और संस्कार के संरक्षक एवं सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की पांचवी पुण्यतिथि गांधीपुरम बोरसिया में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर हथियाराम शक्तिपीठ के महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति एवं गीता गुरुकुल फाउंडेशन मिशिगन अमेरिका के संस्थापक श्री योगीआनंद ने कर्मवीर सत्यदेव सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बलिया सांसद विरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि आज भारतीय परंपरा का सम्मान पूरा विश्व कर रहा है। ज्ञान परंपरा के शब्दों की ध्वनि शंकर जी के डमरु से निकली है।

जो ज्ञान साहित्य प्रदान नहीं करता वह ज्ञान नहीं है। भारतीय ज्ञान परंपरा साहित्य, आर्थिक, राजनीतिक स्मृति के लिए काम करती है, संस्थाएं परिवार बनाती हैं बाजार आधारित परंपराएं समाज को तोड़ती हैं, भारतीय परंपराओं को नुकसान पहुंचाती हैं। टूटता हुआ परिवार देश एवं समाज के लिए एक संकट है।

हमारा देश करुणा एवं भरोसे का देश है जो दुनिया को शांति का संदेश देती है ।डा. आनंद सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा एक परंपरा नहीं है, उपासना ज्ञान की परंपरा कर्मकांड की परंपरा भारत को आलोकित करने वाली परंपरा है। संस्था की परंपराओं का उन्होंने वर्णन किया, परंपराएं ज्ञान प्रदान करने के लिए अलग-अलग हो सकती हैं ।उन्होंनें दिनकर की कविता का उल्लेख करते हुए कहा कि किसको नमन करुं मैं भारत किसको नमन करुं मैं, जो वस्तु को भाव समझता है वह भाव को वस्तु समझता है वह भारतीय नहीं है।


कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा करते हुए कहा कि सांस्कृतिक धरोहर को ध्यान में रखकर समग्र शिक्षा नीति बनाई गई है। यह शिक्षा नीति ढाई लाख ग्राम पंचायतें ,6600 ब्लॉक एवं 676 जिलों के विचार-विमर्श करके बनाई गई है । शैक्षणिक एवं नियामक संस्थाएं से विचार-विमर्श करके राष्ट्रीय निर्माण एवं समस्त को ध्यान में रखकर यह शिक्षा नीति बनाई गई है ।

सभी सरकारें इस नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कटिबद्ध हैं एवं कई राज्यों ने अपने राज्यों में इसे लागू कर दिया है। शिक्षा के बल पर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान ना होकर रोजगार युक्त एवं संस्कृति युक्त होनी चाहिए। लेकिन उस ज्ञान का प्रयोग के रूप में करते हैं। भारतीय संस्कृति से युक्त ज्ञान लाभदायक हो सकता है इसमें जोड़ा गया है एवं इसका भरपूर प्रयोग कर रहे हैं। इस मौके पर सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक डा सानंद सिंह ने कहा कि आज हमारा देश निरंतर प्रगति के पथ पर युवाओं के द्वारा अग्रसर हो रहा है।

किसी भी देश एवं समाज की स्थिति को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा एक प्रमुख साधन है जिसमें हमारे देश के विद्वत जनों का विचार सर्वोपरि है ।विद्या केवल हमें ज्ञानार्जन ही नहीं कराती है बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त एवं बलवान भी बनाती है।इस मौके पर डा. आनंद सिंह एवं डा. सानंद सिंह ने शहीदों के परिजनों को साल,अंगवस्त्रम एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया । इसके साथ ही वनवासी समाज के छात्रों को कंबल, बैग एवं चादर देकर भी सम्मानित किया गया।

इस कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर हरिकेश सिंह , पूर्व अपर मुख्य सचिव एमपी मनोज श्रीवास्तव, विधायक ओमप्रकाश सिंह, पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह एवं प्रमुख प्रबुद्ध जनों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सत्यदेव डिग्री कालेज के प्राचार्य डा रामचंद्र दुबे, डा कृपाशंकर सिंह, काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय, सत्यदेव पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य अजीत यादव, आईटीआई के प्रधानाचार्य सुनील यादव, फार्मेसी सत्यदेव फार्मेसी के प्राचार्य टीपी सिंह, सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य चंद्रसेन तिवारी , प्रभाकर त्रिपाठी एवं समस्त कर्मचारी एवं प्राध्यापक गण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हथियाराम मठ के महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति तथा संचालन श्याम कुमार ने किया।

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