Thursday, November 14, 2024

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कुलपति ने सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा के समाधि स्थल का किया लोकार्पण

गाजीपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या शनिवार को गाजीपुर पहुंचे, जहां उन्होंने गायत्री शक्तिपीठ पर नवनिर्मित सजल श्रद्धा-प्रखर प्रज्ञा का लोकार्पण किया। इसके साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक वेद मूर्ति, तपोनिष्ठ आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के आध्यात्मिक वैभव के यात्रा पर आधारित युग ऋषि का जीवन दर्शन के प्रदर्शनी का भी लोकार्पण किया। सबसे पहले डॉक्टर साहब विश्व प्रसिद्ध संत पवहारी बाबा के समाधि स्थल कुर्था पर श्रद्धालुओं की टोली के साथ पहुंचे। जहां गायत्री परिजनों ने फूलमाला व तिलक लगा कर स्वागत किया। पवहारी बाबा मंदिर के पुजारी ओंकार नाथ तिवारी ने भी विधिवत कर्मकांड से पूजा पाठ करते हुए पवहारी बाबा स्थल की विशेषता का वर्णन किया। सर्वप्रथम ठाकुर जी को माल्यार्पण करते हुए सबल राष्ट्र की कामना हेतु डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने प्रार्थना किया। इसके बाद डॉ चिन्मय पंड्या गायत्री शक्तिपीठ पहुंचे। गायत्री माता की मूर्ति के बगल में बने हुए सजल श्रद्धा व प्रखर प्रज्ञा का व मंदिर के पीछे परम पूज्य गुरुदेव के जीवनी पर आधारित संजीव प्रदर्शनी का उन्होंने लोकार्पण किया। गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी सुरेंद्र सिंह ने उन्हें माल्यार्पण व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। जिला समन्वयक लौहर सिंह यादव व गायत्री शक्तिपीठ के संरक्षक की भूमिका में त्रिलोकी नाथ पांडेय  ने भी अंग वस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर उन्हें भेंट प्रदान किया।  चिन्मय पंड्या ने कहा कि इस विश्व ब्राह्मण का हम सभी बहुत ही बड़े सौभाग्यशाली मानव हैं, जो उस परम चेतना से जुड़े हैं। क्योंकि गुरुदेव ठोक कर इस बात को कहते हैं तुम किसी का अहित मत करना मैं सब कुछ संभाल लूंगा। भारत भूमि पर रहने वाले बहुत सारे संतों के मुख से यह सुना गया है कि विश्व ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला इन दिनों कोई और नहीं बल्कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी हैं। उन्होने कहा कि आज व्यापक रूप से अनैतिकता फैली हुई है। स्वार्थियों व धूर्तों का बाहुल्य है। सच्चे और सद्पात्रों का भारी अभाव हो रहा है। और आज न तो तीव्र उत्कंठा वाले शिष्य और न सच्चा पथ प्रदर्शन की योग्यता रखने वाले चरित्रवान तपस्वी दूरदर्शी एवं अनुभवी गुरु ही हैं। ऐसी दशा में गुरु शिष्य संबंध के महत्वपूर्ण आवश्यकता का पूरा होना कठिन है

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