Thursday, November 21, 2024

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असहाय पिता और बेबस पिता, दिल के हालात ख़ुद जानता है पिता

गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज की ओर से’चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम अहीरपुरवा,जंजीरपुर में सेवानिवृत्त शिक्षक धर्मदेव यादव के आवास पर सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। । मीरजापुर के संस्था की इकाई के प्रभारी कवि-लेखक आनन्द अमित को संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर, संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया। गोष्ठी का शुभारंभ महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। कवि हरिशंकर पाण्डेय ने अपना गीत “असहाय पिता और बेबस पिता/दिल के हालात ख़ुद जानता है पिता/ज़ख़्म कितने मिले जानता है पिता/फिर भी मौन सदा साधता है पिता” प्रस्तुत कर प्रशंसित रहे। हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने “जो ऊपर से दिखते उजले सदा/दिल भी वैसा ही हो ये ज़रूरी नहीं” सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। कवि दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी कविता “रात कब ढल गई सितारों से पूछो/लहरें कितना मचलती हैं किनारों से पूछो” सुनायी।युवा नवगीतकार डा.अक्षय पाण्डेय ने वर्तमान में वैश्विक युद्धक परिदृश्य को केंद्र में रखते हुए अपना ‘आओ युद्ध-युद्ध खेलें हम’ शीर्षक व्यंग्य-नवगीत “शोकसभा में खड़े तथागत/ मरी आज करुणा/और हुईं हैं शक्तिशालिनी हिंसा,वैर-घृणा/चीख-पुकारें, रुदन-पलायन/ निरपराध मत गिन/आओ युद्ध-युद्ध खेलें हम ताक धिना धिन धिन” सुनाकर श्रोताओं को ताली बजाने के लिए विवश कर दिया। कवि आनन्द अमित ने अपना गीत “रोक उखड़ती सांसों को तू/मर-मर कर भी जीना सीख/जैसे मधुरस पीता है रे/घूंट ज़हर का पीना सीख” सुनाकर श्रोताओं की प्रशंसा पाई। धर्मदेव यादव धर्मेश ने अपनी कविता “कर्म के यज्ञ में श्रम की दे आहुति/चारों फल ज़िन्दगी के ही पाते चलो/दीन दुखियों को अपना सखा मानकर/दे ख़ुशी उनको उर से लगाते चलो” सुनाकर श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया। काव्यगोष्ठी में शशांक शेखर पाण्डेय,जयदेव यादव,हनुमान यादव,लीलावती,सूरज,सुभाष,लालबहादुर,तेज बहादुर आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता कवि कामेश्वर द्विवेदी एवं संचालन नवगीतकार डा.अक्षय पाण्डेय ने किया । अन्त में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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