शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदानःसीएमओ

 शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदानःसीएमओ

—जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध जरूर पिलाएं
—शुरू हुआ ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’, समुदाय को करेंगे जागरूक

गाजीपुर। नवजात एवं मां की स्वास्थ्य देखभाल के लिए सोमवार से ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ जन जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई। इस वर्ष इसकी थीम “स्तनपान शिक्षा और सहयोग के लिए बढ़ाएं कदम” निर्धारित की गई है। अभियान में मुख्य रूप से शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने, छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, पोषण पुनर्वास केंद्र, कंगारू मदर केयर एवं गृह आधारित नवजात की देखभाल (एचबीएनसी) के बारे में जागरूक और प्रेरित किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. हरगोविंद सिंह ने कहा कि एक अगस्त से शुरू हो रहे स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत जनपद में स्तनपान प्रोत्साहन से जुड़ी जनजागरुक गतिविधियां आयोजित होंगी। इसमें एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होगी। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण कर स्तनपान के महत्व और उसके फायदे के बारे में बताएंगी। सीएमओ ने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान का खास योगदान है। पहला जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाना, दूसरा छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना और तीसरा दो वर्ष तक के बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना और दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना है। एसीएमओ (आरसीएच) डा. उमेश कुमार ने बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण- 4 (एनएफ़एचएस 2015-16) के अनुसार जिले में 27.4 फीसदी जन्मे शिशुओं को एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया गया, जबकि एनएफ़एचएस-5 (2019-21) में यह 12.4 प्रतिशत रह गया। एनएफ़एचएस-4 में छह माह तक के 25.4 फीसदी बच्चों को सिर्फ स्तनपान कराया गया, एनएफ़एचएस-5 में बढ़कर यह 60.7 प्रतिशत हो गया है। एनएफ़एचएस-4 में छह से 23 माह तक के 3 प्रतिशत बच्चों को स्तनपान के साथ अनुपूरक मिला, वहीं एनएफ़एचएस-5 में यह बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गया है। डा. उमेश ने कहा कि स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। वहीं जिन शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है, उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है (उन शिशुओं के सापेक्ष जिनको जन्म के एक घंटे के बाद लेकिन 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है)। उन्होंने कहा कि नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करें। छह माह तक केवल स्तनपान कराएं और छह माह पूरे होने पर संपूर्ण आहार दें। जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम) अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी धात्री महिलाओं व परिजनों को जन्म के पहले घंटे के अंदर व छह माह तक सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक व प्रेरित करेंगी। कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है तो साफ-सफाई, हाथ धोना, दूध पिलाते समय नाक व मुंह पर मास्क लगाना आदि बातों का विशेष ख्याल रखें।

—–स्तनपान से मां और शिशु को होने वाले फायदे
–मां का दूध, शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है।
–मां और शिशु के बीच में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है।
–दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
–शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाता है।
–प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है।
–स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं।
–शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में बेहतर विकास होता है।

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