सचिव कामायनी दुबे ने बंदियों को दी अधिकारों की जानकारी

 सचिव कामायनी दुबे ने बंदियों को दी अधिकारों की जानकारी

गाजीपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देशों के अनुपालन में मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पूर्णकालिक सचिव कामायनी दुबे ने जिला कारागार में शिविर का आयोजन किया। इसके साथ ही उन्होंने निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
सचिव कामायनी दुबे ने शिविर में बंदियों से निःशुल्क अधिवक्ता, जेल लोक अदालत तथा उनकी जेल अपील से संबंधित अन्य समस्याएं पूछते हुए उनके यथोचित अधिकार के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। बंदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के विषय में विस्तृत जानकारी दी। जेल अधीक्षक द्वारा बताया गया कि वर्तमान में कुल 969 बंदी निरूद्ध हैं, जिसमें 875 पुरूष, 40 महिला बंदियों के साथ एक बच्चा निरूद्ध है और 54 अल्पवयस्क है। सुबह के नाश्ता में चना, चाय। दोपहर के भोजन में रोटी-चावल, अरहर की दाल सब्जी (आलू, पालक) और शाम के भोजन में रोटी, चावल, उर्द चना की दाल, सब्जी (आलू, पालक व शलजम) के साथ ही शाम को अतिरिक्त चाय व काढ़ा दिया जा रहा है। सचिव ने शिविर में बंदियों को बताया गया कि सीआरपीसी में एक नया अध्याय 21 ए जोड़ा गया था, जिसमें धारा 265 ए से 265 एल को नए रूप से जोड़ा गया और प्ली बारगेनिंग का विवरण दिया गया। बताया कि “प्ली बारगेनिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत आरोपी अपने अपराध को मर्जी से स्वीकार करता है। दोनों पक्षों के बीच होने वाला समझौता अदालत की देख-रेख में होता है। समझौता के बाद मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी अपने गुनाह कबूल करता है। आरोपी की
सजा उस केस की न्यूनतम सजा से आधी या उससे भी कम कर दी जाती है। कोविड-19 को देखते हुए उन्होंने नए बंदियों को पहले आइसोलेट में रखने के साथ ही संदिग्ध लक्षण होने पर जांच और सैनिटाइजेशन का निर्देश दिया। सचिव ने जेल के कई बंदियों से बात कर उनकी समस्याओं को जाना और उसके निस्तारण का निर्देश दिया। सचिव ने कारापाल को जिला कारागार में स्थित जेल लीगल क्लीनिक पर विशेष रूप से ध्यान देने का निर्देश दिया ताकि जेल में निरुद्ध बंदियों को समय से व समुचित विधिक सहायता प्राप्त हो सके। इस अवसर पर जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा, कारापाल शिवकुमार यादव और उप कारापाल कमलचंद आदि उपस्थित थे।

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