संगोष्ठी की स्मारिका ‘अभिज्ञान-कुंभ’ का हुआ विमोचन

 संगोष्ठी की स्मारिका ‘अभिज्ञान-कुंभ’ का हुआ विमोचन

गाजीपुर। स्वामी सहजानंद पीजी कालेज एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के संयुक्त तत्त्वावधान में “वर्तमान वैश्विक परिवेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रासंगिकता” विषयक दो दिवसीय अंतर्विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का आयोजन महाविद्यालय के मुख्य सभागार में हुआ। उद्घाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य प्रो. डा. विजय कुमार राय के स्वागत भाषण के साथ हुआ। संगोष्ठी की स्मारिका ‘अभिज्ञान-कुंभ’ का विमोचन हुआ।

इसके साथ ही प्रो. गीता सिंह की पुस्तक ‘सगुण काव्य’ तथा प्रो. निर्मला एस मौर्या व डॉ. प्रमोद कुमार ‘अनंग’ के सह-लेखन में रचित पुस्तक ‘गर्भाधान संस्कार एक उत्कृष्ट परम्परा’ का लोकार्पण किया गया। डा. अनंग कृत गीत ने सभागार में उपस्थित दर्शक-श्रोतागण को मंत्रमुग्ध कर दिया। विषय-प्रवर्तन का दायित्व संगोष्ठी के सह-सचिव व महाविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश पाण्डेय ने सम्भाला। विशेष वक्तव्य प्रो. विवेक मणि त्रिपाठी, गोंगडांग विश्वविद्यालय, चीन ने प्रस्तुत किया। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि. संस्कृति राष्ट्र की आत्मा है राष्ट्रवाद की अवधारणा सांस्कृतिक सापेक्षवाद की ही है संगोष्ठी में प्रो. आनंदवर्धन शर्मा निदेशक यूजीसी-एचआरडीसी, बीएचयू, विजिटिंग प्रोफेसर,वल्गारिया ने कहा हमारी संस्कृति पूरे विश्व को आकर्षित करती है। प्रो. दीक्षित ने कहा कि राष्ट्र एक सांस्कृतिक इकाई है जननी जन्मभूमि की अवधारणा को आत्मसात भारत ने किया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को समझ कर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण किया जा सकता है
विशिष्ट अतिथि प्रो. गीता सिंह, ने स्पष्ट किया कि भारत प्राचीन सांस्कृतिक राष्ट्र है भारतीय दर्शन संपूर्ण मानवता की भावना से भरा हुआ है। मुख्य अतिथि जया वर्मा, अध्यक्ष, काव्य रंग व निदेशक एशियन आर्ट्स काउंसिल इंग्लैंड की उपस्थिति रही।अपने उद्बोधन में वर्तमान वैश्विक परिवेश के अंतर्गत राष्ट्रवाद मानवतवाद आशावाद को जोड़ा। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि भारत की संस्कृति को भारतीय जनता ने बचाया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के पूर्व-सचिव श्री कवींद्र नाथ शर्मा ने किया। श्री शर्मा ने संगोष्ठी के आयोजकों, देश-विदेश से पधारे विद्वज्जन एवं प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। उद्घाटन सत्र का सफल संचालन संगोष्ठी के समन्वयक व महाविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ‘अनंग ने किया

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