प्रभु अब आप इस पापी को अपने धाम भेजने का कष्ट करें
—अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी की रामलीला
गाजीपुर। अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के तेरहवें दिन सोमवार की रात लंका मैदान में वेन्देवाणी विनायको आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा बालि-सुग्रीव लड़ाई, श्री हनुमान, सीता मिलन, लंका दहन, तथा सुग्रीव से मित्रता के प्रसंग के लीला का मंचन किया गया।
लीला के दौरान दिखाया गया कि श्री हनुमान जी श्रीराम, लक्ष्मण को कंधों पर बिठाकर महराज सुग्रीव से मिलवाते है। तभी श्री राम ने सुग्रीव से मित्रता करने के बाद सुग्रीव से बालि के संबंध में सारी घटनाओं को सुनकर सुग्रीव को बालि के पास भेजते है कि जाओं आप बालि से युद्ध करो। श्री राम के आदेश पर सुग्रीव बालि के दरवाजे पहुंचकर अपने बड़े भाई बालि को युद्ध के लिए ललकारते है।
सुग्रीव भी ललकार सुनकर बालि दरवाजे पर आकर युद्ध के दौरान सुग्रीव को मारकर अधमरा कर देते है। अंत में वह श्री राम के पास आया। श्री राम ने उसे अपना माला पहनाकर अपना बल देकर भेजते है। पुनः सुग्रीव बालि को युद्ध के लिए ललकारता है। दोनो में घमासान युद्ध शुरू होता है। श्री राम युद्ध के दौरान सुग्रीव को हारता देखकर अपने वाणों से बालि को मार देते है। वह जमीन पर पड़ा श्री राम से कहता है कि हे प्रभु धर्म हेतु अवतरे हूं, गोशाई मोरहू मोहिव्याध की नाई।
कहा कि हेराम आप के अवतार है और आपने मुझे बहेलिये की तरह पेड़ की आड़ में छिपकर मुझे मारा दिया। मेंरी दुश्मनी सुग्रीव से थी। हम दोनों भाइयो के बीच में आकर ठीक नहीं किया, मेरी लड़ाई सुग्रीव से है। इस पर श्री राम कहते है कि मैं अयोध्या के राजा दशरथ का पुत्र हूं। राजा पुत्र का कर्तव्य है कि अनुजवधु भार्गनी सुत नारी सुन सठ कन्या समए चारी। और इनहि कु दृष्टि बिलो-कहि जोई। ताहिबधे कुछ पाप न होहि। श्री राम के शास्त्रोक्त बाते सुनकर बालि ने कहा प्रभु अब आप इस पापी को अपने धाम भेजने का कष्ट करें। अंत में श्रीराम बालि को अपने धाम भेज देते है। इसके बाद बालि को मारकर किष्किन्धा राज सुग्रीव को देते है तथा बालि के आग्रह पर बालि पुत्र अंगद को युवराज बना देते है। श्री राम के आदेश पर महाराज सुग्रीव आदेश देकर हनुमान को सीता का पता लगाने का आदेश देते है।
श्री हनुमान सतयोजन समुन्द्र पार कर लंका के कोने-कोने में सीता का पता लगाते है। अंत में उनकी भेट राम भक्त विभिषण से होती है। विभिषण सीता का पता बता देते है। हनुमान जी अशोक वाटिका में जाकर माता सीता से मिलते है। वे श्री राम के आने की सूचना देते है तथा माता के आदेशानुसार अशोक वाटिका में सुन्दर फलों को खाते है। रखवालों द्वारा विरोध करने पर मारपीट देते है। अंत में रावण पुत्र इन्द्रजीत आता है और हनुमान को बांधक बनाकर रावण के दरबार में ले जाता है। रावण के आदेश पर सैनिक हनुमान की पूंछ में आग लगाते है। पूंछ में आग लगते ही श्री हनुमान आकाश मार्ग की ओर बढ़ते है और अपनी पूंछ में आग के माध्यम से पूरे लंका नगरी को जलाकर राख कर देते है। इस लीला को देख दर्शक जय श्री राम का जयघोष करने लगे। इस अवसर पर, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, प्रबन्धक वीरेश राम वर्मा, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, विश्वम्भर गुप्ता, डा. प्रेम तिवारी, राम सिंह यादव सहित सैकड़ों की संख्या में दर्शक मौजूद रहे।