महाराज मैं पहले आपका पैर पखार लूंगा, तब नाव पर बैठाऊंगा…

 महाराज मैं पहले आपका पैर पखार लूंगा, तब नाव पर बैठाऊंगा…

—अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी की रामलीला

गाजीपुर। अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के सांतवे दिन मंगलवार की रात विशेश्वरगंज स्थित पहाड़खां पोखरा पर वन्दवाणी विनायकौ रामलीला मंडल द्वारा श्रीराम केवट संवाद व घरनैल द्वारा सुरसरी पार जाने की लीला मंचन किया गया। इसे देश दर्शक भावविभोर हो गए।

श्रीराम चरित मानस ग्रंथ के आधार पर अयोध्या कांड से लिए गए लीला दर्शाया गया कि माता कैकेयी के वरदान के अनुसार श्रीराम वनवास काल के दौरान अयोध्या राज्य सीमा को पार श्रीराम के सखा निषादराज का राज्य शुरू होता है। श्रीराम का रथ सीमा पार कर श्रृगवेरपुर राज्य में पहुंचता है तो निषादराज को दूतों द्वारा पता चलता है कि दो वीर पुरूष रथ पर सवार होकर श्रृगवेरपुर की ओर आ रहे हैं तो निषादराज ने दूतों से कहा कि जाओ पता लगाओ कि वे दोनो वीर कौन हैं।

निषादराज के आदेशानुसार दूतों ने जाकर पता किया कि वे दोनों वीर अयोध्या नरेश चक्रवर्ती राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम, लक्ष्मण हैं। इतना सुनकर दूत निषादराज को उनके बारे में सारा पता बताते हैं, जब निषादराज ने सुना कि अयोध्या के श्रीराम जो हमारे पुराने सखा हैं, वे अपने भाई के साथ श्रृंगवेरपुर के सीमा पर आ पहुंचे हैं तो वह खुश होकर अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंचता हैं और पुरानी बात को याद कर उन्होंने श्रीराम को अपने गले लगा लिया

और सारी बाते सुनकर श्रीराम से निषादराज कहते हैं कि मित्र आप हमारे राज्य में चलिए, वहां पर 14 वर्ष बिताइयेगा इतना सुनते ही श्रीराम ने कहा कि जिस राज्य को हमने त्यागकर वन प्रदेश के लिए प्रस्थान किया है तो पुनः आपके राज्य में जाने पर मैं प्रतिबंधित हूं, क्योंकि आपके साथ जाने पर मेरा संकल्प अधूरा रह जायेगा। निषादराज ने अपने मित्र की बात को मानकर सिसुपा वृक्ष के नीचे श्रीराम के ठहरने का व खाने-पीने का व्यवस्था करा दिया।

श्रीराम, लक्ष्मण रातभर सिसुपा वृक्ष के नीचे विश्राम करने के बाद दूसरे दिन सुबह उठकर अपने नित्य कर्म से निवृत्त होकर गंगा के तट पर खड़ा होकर केवट को बुलाते हैं। केवट ने कहा कि महाराज आप अपना परिचय बताईये, श्रीराम ने जब अपना परिचय और केवट ने जब सुना कि श्रीराम सामने खड़े हैं, उसने कहा कि महाराज मैं पहले आपका पैर पखार लूंगा, तब मैं नाव पर बैठाउंगा, क्योंकि आपके पैर में जादू है।

इतना सुनते ही श्रीराम ने केवट से कहा कि जाओ पानी भरके लाओ और जल्दी पैर धूलकर मुझे गंगा पार उतारों। इतना सुनते ही केवट घर से कठौथा लाकर गंगा जल लेकर प्रभु श्रीराम का पैर पखारकर पैर धूल का चरणामृत पान किया। इसके बाद उसने श्रीराम को नाव में बैठाकर गंगा पार करा दिया।

पार होने के बाद प्रभु श्रीराम ने उत्तरायी देने लगे तो उसने कहा कि अब कछुनाथ न चाहिअ मोरे दिन दयाल अनुग्रह तोरे इतना कहने के बाद वह श्रीराम के चरणो में प्रणाम करके लौटना चाहता है तो प्रभु उसे अविरल भक्ति देकर उसे विदा कर देते हैं। इस मंचन के देख दर्शक भावविभोर हो गए। इस अवसर पर मंत्री ओमप्रकाश तिवारी बच्चा, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, प्रबंधक वीरेश राम वर्मा, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, अजय कुमार पाठक, मनोज तिवारी, कृष्ण बिहारी त्रिवेदी आदि उपस्थित रहे।

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