नाव हादसाःचार शव बरामद, मासूम की तलाश जारी

 नाव हादसाःचार शव बरामद, मासूम की तलाश जारी

सेवराई (गाजीपुर)। रेवतीपुर थाना थाना क्षेत्र के अठहठा गांव में बुधवार की शाम हुई नाव दुर्घटना के दूसरे दिन गुरुवार की सुबह बाढ़ में डूबे अन्य चार लोगों का शव बरामद किया। जबकि एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में पाचवें और अंतिम मासूम की तलाश में एनडीआरएफ और पीएसी की टीम जुटी रही। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। चार शवों मिलने से गांव में कोहराम मच गया।

मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित अठहठा गांव के लोगों के आवागमन के लिए प्रशासन की तरफ से नाव की व्यवस्था कराई गई है। बुधवार की शाम एक मझली नाव में करीब 30 से अधिक लोग पशुओं का चारा सहित अन्य घरेलू सामान लेकर बैठे थे। जैसे ही नाव खुली थी और करीब 100 मीटर आगे बढ़ी थी कि नाव का जनरेटर बंद हो गया था और ओवरलोड होने की वजह से नाव में पानी भरने लगा। इससे उस पर सवार लोगों में शोर-शराबा के बीच अफरा-तफरी मच गई थी।

आनन-फानन में लोग नाव के कूदने लगे थे। गांव के डब्लू गोड़ (40), नगीना (50) एवं नाव चला रहा नाविक सहित अन्य पांच लोग डूबने लगे थे। आनन-फानन में ग्रामीणों डब्लू, नगीना और नाव चालक को पानी से बाहर निकाल लिया था। हालत खराब होने पर उन्हें अस्पताल लाया जा रहा था, इसी बीच रास्ते में डब्लू और नगीना की मौत हो गई थी। जबकि पांच लोग लापता हो गए थे। घटना सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया था।

जिलाधिकारी एमपी सिंह, पुलिस अधीक्षक रोहन पी बोत्रे, सेवराई एसडीएम राजेश चौरसिया सहित अन्य अधिकारी और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई थी। एनडीआरएफ और पीएसी की टीम डूबे लोगों की तलाश शुरु कर दिया था, लेकिन देर रात तक कुछ पता नहीं चल सका था। अंधेरे की वजह से तलाश में परेशानी आ रही थी। गुरुवार की सुबह से पुनः तलाश शुरु कर दी गई।

दिन में करीब 10 बजे डब्लू गोड़ के पुत्र सत्यम (14), अनीस की पुत्री अमृता (6), विजयशंकर का पुत्र अमित (10) और दयाशंकर यादव का पुत्र खुशीहाल यादव (10) का शव घटनास्थल के पास से ही बरामद हुआ। जबकि कमलेश यादव की पुत्री अलीशा यादव (4) की तलाश जारी रही। मौके पर सेवराई एसडीएम राजेश चौरसिया, तहसीलदार अमित शेखर, रेवतीपुर एसओ सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। बरामद शवों को पुलिस ने कब्जे में लिया। चार लोगों का शव मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। मातमी सन्नाटें में मृतकों के परिजनों की चीख-पुकार सुनाई देती रही। गांववासी घटना के लिए पतित पावनी की दुहाई देते कहते रहे कि उन्होंने बाढ़ का ऐसा जख्म दिया, जिसे हम लोग ताउम्र नहीं भूल पाएंगे।

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