एक सच्चा गांधीवादी थे पंडित विश्वनाथ शर्माःमाधव कृष्ण

 एक सच्चा गांधीवादी थे पंडित विश्वनाथ शर्माःमाधव कृष्ण

—मनाई गई अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पंडित विश्वनाथ शर्मा की पुण्यतिथि

गाजीपुर। लंका मैदान में स्थित सभागार में अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पंडित विश्वनाथ शर्मा की 61वीं पुण्यतिथि एवं जेल जाने का शताब्दी वर्ष का आयोजन किया गया। इस मौके पर जनपद के चर्चित युवा साहित्यकार माधव कृष्ण ने स्व. पंडित विश्वनाथ शर्मा को एक सच्चा गांधीवादी बताते हुए एक जननायक के रूप में रेखांकित किया। रविकांत राय नें शर्मा जी की राजनैतिक दूरदर्शिता एवं ईमानदारी की भूरिभूरि प्रशंसा की। प्रखर वक्ता श्रीकांत पांडेय ने शर्मा जी की स्मृति को प्रणाम करते हुए राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में पंडित विश्वनाथ शर्मा के त्याग एवं बलिदान को याद किया। सच्चिदानंद राय ‘चाचा’ ने पंडित शर्मा जी के चिंतन से सबक लेने की बात कहते श्रद्धाजंली अर्पित की। पूर्व प्रधानाचायर्य विजयशंकर राय ने शर्मा जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत की स्वतत्रंता और भारत विभाजन की विभीषिका पर प्रकाश डाला।

वरिष्ठ अधिवक्ता रामपूजन सिंह ने स्व. शर्मा की निष्ठा की प्रशंसा की। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामधारी यादव ने स्व. शर्मा एवं उनके परिवार के संघर्ष को नमन किया। कल्चरर फोरम के अध्यक्ष दीपक कुमार ने आज के समय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित सेनानियों से जुड़े कार्यक्रमों की सार्थकता पर जोर दिया। पूर्व प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार मांधाता राय ने विस्तृत रूप में शर्मा जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उनकी कीर्ति को अमर बताया। विद्यासागर जी ने स्व. शर्मा के परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा कि वह परिवार और गाव धन्य है, जिसमें स्वतंत्रता के लिए त्याग और बलिदान करने वाला व्यक्ति जन्म लें। रामावतार यादव नें शर्मा जी के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। इसके अलावा देश के जाने-माने पत्रकार रामबहादुर राय ने भी इस आयोजन को गूगल मीट से संबोधित किया और इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक कहा। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में जनपद गाजीपुर के योगदान की चर्चा करते हुए उस समय के जनपदीय आंदोलन को पंडित विश्वनाथ शर्मा केन्द्रित बताता। वरिष्ठ गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने वक्तव्य का प्रारम्भ गीत से करते हुए स्व. पंडित विश्वनाथ शर्मा को पारश पत्थर के रूप में याद किया। उन्होने शर्मा जी की सजनैतिक सूचिता और पवित्र को चित्रित किया।

मुख्य अतिथि प्रो. हरिकेश सिंह ने स्व. शर्मा जी को क्रांति की कांति कहा। प्रो. सिंह ने दु:ख प्रकट किया कि क्या ऐसे महापुरुषों से संबंधित आयोजन उनके परिवार के लोग ही करते रहे ? शासक, प्रशासन कब तक सोता रहेगा ? ऐसे आयोजन उसका दायित्व है। ऐसे महापुरुषों से संबंधित आयोजन को और व्यापकता देने की आवश्यक्ता है। अध्यक्षता करते हुए वाराणसी से पधारे धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि पंडित विश्वनाथ शर्मा अद्वितीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है, जो अपनी तीन-तीन पीढ़ियों के साथ जेल यात्रा किए। माता, पत्नी और बेटी के साथ। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आगे और भव्यता के साथ आयोजित किया जाता रहे, मैं यही चाहता हूं। कार्यक्रम में अनन्त देव पांडेय “अनन्त”, मारकण्डेय सिंह, महान कवि श्यामनारायण पाण्डेय के शिष्य यशवन्त जी एवं रश्मी शाक्य ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर प्रभाकर पाण्डेय, सतीश राय, बीरबहादुर सिंह, ओकार सिंह, भूपेन्द्र सिंह, कृष्णानंद राय, राकेश मिश्रा, भोला यादव, संजय, संदीप, दिनेश यादव, बृजेश, विवेक, जितेंद्र, भोलू, हिमांशु आदि उपस्थित रहे। संचालन व्यासमुनी राय ने किया। अंत में स्व. शर्मा के पुत्र विश्व विमोहन शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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