लोक अदालतःपति-पत्नी में सुलह करा न्यायालय से किया गया विदा

 लोक अदालतःपति-पत्नी में सुलह करा न्यायालय से किया गया विदा

—लोक अदालत में समाप्त हो जाती है पक्षकारों के मध्य परस्पर वैमनस्यताःप्रभारी जिला जज

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गाजीपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गाजीपुर के तत्वाधान में शनिवार को जनपद न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ प्रभारी जनपद न्यायाधीश रामसुध सिंह मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लोक अदालत में न केवल मुकदमों का निस्तारण किया जाता है, बल्कि पक्षकारों के मध्य परस्पर वैमनस्यता भी समाप्त हो जाती हैं।

नोडल अधिकारी लोक अदालत विष्णु चंद वैश्य सिविल जज (सीडी)/प्रभारी सचिव जिला विधिक प्राधिकरण स्वप्न आनंद ने राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण के लिए नियत वादों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रभारी सचिव स्वप्न आनंद ने कहा कि लोक अदालत से न्याय के क्षेत्र में क्रांति आई है और लोगों में विधिक जागरूकता भी बढ़ी हैं। उन्होने शायराना अंदाज में लोगों से अपील किया कि ”मैं भी जीतू तू भी जीते मोहब्बत भरी एक जंग करते है, लोक अदालत में आकर सारे विवाद समाप्त करते हैं”। उनके द्वारा जनपद न्यायाधीश के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए प्रयासों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी गयी तथा सामान्य अदालत एवं लोक अदालत में अंतर को विस्तार से बताया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 49007 मामले निस्तारण के लिए नियत किए गए थे, जिसमें सुलह-समझौता एवं संस्वीकृति के आधार पर कुल 38258 वाद अंतिम रूप से निस्तारित किए गए। राजस्व विभाग आदि के 1708 मामले, विभिन्न न्यायालयों द्वारा 6176 मामले तथा बैंक एवं अन्य विभाग द्वारा कुल 32082 मामले निस्तारित किए गए।

कुल 8,03,10,340 रुपए की धनराशि के संबंध में आदेश पारित हुआ। दीवानी न्यायालय द्वारा कुल 3,63,38,870 रुपए के संबंध में आदेश पारित किया गया तथा राजस्व न्यायालयों एवं बैंक में कुल 4,39,71,470 रुपए के संबंध में सुलह-समझौता हुआ। लोक अदालत की सफलतापूर्वक समाप्ति पर नोडल अधिकारी विष्णु चंद्र वैश्य द्वारा समस्त न्यायिक अधिकारीगण, वादकारीगण, अधिवक्तागण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हें सहयोग देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा कुल 60 वाद निस्तारित किए गए व 1,33,95,000 रुपए की धनराशि के संबंध में आदेश पारित किया गया। प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय द्वारा 65 वाद निस्तारित किए गए, जिसमें से 02 मामलों में पति-पत्नी में सुलह कराकर उनका मुंह मीठा करा उन्हे न्यायालय से एक साथ विदा किया गया। जनपद न्यायालय में पिछली लोक अदालतों की भांति ही फौजदारी मामलों में सबसे अधिक निस्तारण मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी शरद कुमार चौधरी द्वारा तथा दीवानी मामलों में सबसे अधिक निस्तारण सिविल जज (वरिष्ठ संवर्ग) स्वप्न आनंद द्वारा किया गया। इस बार की लोक अदालत में खास बात यह रही कि इस अवसर पर प्रशासनिक न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी भी उपस्थित रहें। उन्होनें न्यायिक अधिकारियों को अधिक से अधिक मुकदमें निस्तारित करने के लिए प्रोत्साहित किया और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। इस बार नव स्थापित ग्राम न्यायालय जखनियां में भी लोक अदालत का आयोजन प्रथम बार किया गया। हालांकि वहां किसी भी मुकदमें का निस्तारण नहीं हो पाया। प्रभारी सचिव द्वारा जनपद न्यायालय के कर्मचारीगण, अधिवक्तागण, मीडिया कर्मी तथा पुलिस एवं प्रशासन विभाग के प्रति अपना धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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