बंटी राजभर के मौत की अफवाह ने चटख किया सियासत का रंग

 बंटी राजभर के मौत की अफवाह ने चटख किया सियासत का रंग

—पीड़ितों के जख्मों पर सियासी मरहम लगाने पहुंच रहे राजनीतिक दल
—विधानसभा चुनाव की बिसात बिछाने में जुट गई है पार्टियां

गाजीपुर। विधानसभा चुनाव का बिगुल तो अभी नहीं बजा है, लेकिन सियासत का बिसात बिछने लगी है। छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर भी विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने लगा है। बंटी राजभर के मौत की अफवाह ने सियासत को गरमा दिया। इस सियासत को सत्ता पक्ष के एक मंत्री ने पिटाई से घायल अपने कार्यकर्ता का हाल न जान आग में घी डालने का काम किया। उधर इस लड़ाई की आंच क्षत्रिय समाज तक पहुंच गई है। समाज पीड़ित क्षत्रिय पर लादे गए एससी एसटी मुकदमा वापस लेने के लिए आवाज बुलंद कर रहा है।

हुआ यूं कि कुछ दिन पहले मरदह में रामलीला के दौरान कुछ युवक मंच पर पहुंच गए थे। उन्होंने कलाकारों के अभद्रता शुरु कर दिया था। इसका विरोध करने पर मारपीट कर भाजपा के मरदह मंडल अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य शशिप्रकाश सिंह का सिर फोड़ दिया था। पीड़ित ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया और पुलिस ने पांच युवकों को हिरासत में ले लिया था। इसी बीच यह अफवाह उड़ गया था कि पुलिस हिरासत में बंटी राजभर की मौत हो गई है। इससे आक्रोशित लोगों ने थाना में पथराव किया था। एसओ सहित आधा-दर्जन पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। हालांकि बाद में मामला शांत हो गया था।

घटना की जानकारी होने पर बीते 18 अक्तूबर को कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर पीड़ित बंटी राजभर के घर पहुंचे और उसका हाल जाना है। लेकिन मंत्री ने पार्टी के घायल शशिप्रकाश सिंह का हाल जानना मुनासिब न समझते हुए विपक्षियों को एक नया मुद्दा दे दिया। फिर क्या था, पीड़ित बंटी के दरवाजा पर सियासत की घंटी बजनी शुरु हो गई। प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर पीड़ित के घर पहुंचे। उन्होंने घटना की जानकारी लेते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया। इसके बाद पूर्व मंत्री ने घायल भाजपा कार्यकर्ता का भी हाल जाना। अब भला पीड़ितों का सहानुभूति बटोरने से सपा कैसे पीछे रहती। बीते बुधवार को पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, जंगीपुर विधायक डा. वीरेंद्र यादव, पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह, डा. सानंद सिंह, जिलाध्यक्ष रामधारी यादव अन्य नेताओं के साथ पीड़ित के दरवाजा पर पहुंचे और द्वारा सियासत की चौपाल लगा दी।

पीड़ितों से बातचीत में पूर्व मंत्री ने सियासत की लम्बी-चौड़ी चादर तानते हुए यहां तक कह दिया कि यदि आपका किसी प्रकार की उत्पीड़न हुआ तो उसका परिणाम गंभीर होगा। पार्टी आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। तीन पार्टियां पीड़ितों के जख्मों पर सियासत का मरहम लगा चुकी है, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने सियासत के इस पिच पर बल्लेबाजी करने करने नहीं उतरी है। शायद वह भी जल्द पहुंचे और पीड़ितों को यह आश्वासन दे कि वह उनके साथ है। उधर सियासत की इस लड़ाई में क्षत्रिय महासभा युवा भी अपने लोगों के बचाव में शामिल होते हुए पीड़ित पर लादे एससी एसटी मुकदमा वापस लेने के लिए आवाज बुलंद कर रहा है। कुल मिलाकर बंटी राजभर की मौत की अफवाह ने सियासत का रंग चटख कर दिया है। विभिन्न पार्टियां विधानसभा चुनाव में पार्टी का परचम लहराने के लिए राजनीतिक बिसात बिछाना शुरु कर दिया है।

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