नेताओं-कार्यकर्ताओं की नाराजगी कहीं डुबो न दे भाजपा की लुटिया ?

 नेताओं-कार्यकर्ताओं की नाराजगी कहीं डुबो न दे भाजपा की लुटिया ?

गाजीपुर। लोकसभा चुनाव में पार्टी का परचम लहराने के लिए भाजपा, सपा और बसपा ने पूरी ताकत झोंक दिया है। जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे चुनाव प्रचार की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है। वैसे तो सत्तारूढ़ भाजपा कार्यकर्ता जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक सूत्रों की मानें तो हकीकत कुछ और ही दिख रही है। इस हकीकत पर गौर किया जाय तो इंडिया गठबंधन भारी दिखाई दे रहा है। युवाओं में जहां रोजगार को लेकर नाराजगी है तो योजनाओं की लाभार्थी योजना भी इस बार काम करती नजर नहीं आ रही है। प्रमुख पार्टियों की बात करें तो गाजीपुर संसदीय सीट से भाजपा ने पारसनाथ राय को मैदान में उतारा है। इसके साथ ही सपा से सांसद अफजाल अंसारी और बसपा से डा. उमेश सिंह चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। गाजीपुर जिला सेना के जवानों के लिए जाना जाता है लेकिन बीजेपी की ओर से लाई गई अग्निवीर योजना से युवाओं में खासा नाराजगी है। वहीं सरकारी क्षेत्रों में रोजाना घट रही नौकरियों की संख्या भी बीजेपी के खिलाफ जा रही है। वर्ष 2019 में जो युवा मोदी के गुणगान कर रहा था। वहीं युवा बेरोजगार होने पर अब रोना रो रहा है। वहीं दूसरी तरफ सपा और इंडिया गठबंधन जातिय समीकरण के साथ भारी है। साथ ही दस सालों में नाराज वोटरों का भी सपा को साथ मिल रहा है। बीजेपी को मोदी के लहर का भरोसा है तो सपा इंडी गठबंधन और अपने वोट बैंक के बूते जीत का दावा कर रही है। बसपा इस चुनाव में सक्रिय नहीं दिखाई दे रही है। इस चुनावी अखाड़े में भाजपा और सपा ही आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं।आपको बता दें कि अधिसूचना जारी होने से पहले भाजपा नेताओं के साथ ही आम लोग इस बात का कयास लगा रहे थे कि भाजपा विकास पुरुष मनोज सिन्हा या उनके बेटे को चुनावी मैदान में उतारेगी, लेकिन भाजपा ने पारस नाथ राय के नाम पर मुहर लगा दी। इससे कार्यकर्ताओं के साथ ही समर्थकों में निराशा व्याप्त हो गया था। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने फेसबुक पर पार्टी के इस निर्णय का विरोध भी किया था। हालाकि, बाद में बीजेपी की हुई बैठक में कार्यकर्ताओं की इस नाराजगी को दूर करते हुए उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त किया था कि हमें पार्टी हित के बारे में सोचना है। पार्टी के निर्णय को मानते हुए पार्टी प्रत्याशी के जीत दिलाने के लिए जी-जान से जुट जाना है। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पार्टी प्रत्याशी को विजय दिलाने के लिए प्रचार-प्रसार शुरु कर दिया, लेकिन राजनीतिक सूत्रों की मानें तो तमाम नेता और कार्यकर्ता पारसनाथ राय को टिकट दिए जाने से खुश नहीं हैं। वे पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने का सिर्फ कोरम पूरा कर रहे हैं। कई वरिष्ठ नेताओं के मन में भी यह बात है कि गाजीपुर की सीट सपा के खाते में जा रही है। कुल मिलाकर गाजीपुर जिले की राजनीति हमेशा से थोड़ा हटकर रही है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि बीते विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर थी, उस लहर में भी गाजीपुर की सातों विधानसभा सीटों पर सपा को जीत मिली थी। भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था।ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा द्वारा पारस नाथ राय को प्रत्याशी बनाए जाने और इस निर्णय से भाजपा के तमाम नेताओं-कायर्कतर्ताओं के नाराज होने का लाभ इंडी गठबंधन को मिल सकता है।

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