निचले तबके के दलित-पीड़ितों में आत्मसम्मान को जगाया: विनोद सिंह

 निचले तबके के दलित-पीड़ितों में आत्मसम्मान को जगाया: विनोद सिंह

गाजीपुर। पीजी कालेज में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में कला संकाय के इतिहास विषय के शोधार्थी विनोद कुमार सिंह ने अपने शोध शीर्षक “सल्तनत कालीन भक्ति आंदोलन: एक अध्ययन” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि सल्तनतकालीन भक्ति आन्दोलन का स्वरूप एवं प्रभाव मानवीयता से ओतप्रोत रहा है। इस आंदोलन ने सबसे निचले तबके के दलित-पीड़ित व शोषितों के जीवन में आत्म-सम्मान को जगाया। इसलिए इस आन्दोलन को व्यापक जन-सहयोग मिला। इस भक्ति आंदोलन ने नवीन परिस्थितियों को जन्म दिया, और इससे सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों का मानवीकरण हुआ। कमोवेश ऐसा वातावरण बनने लगा, जिसमें मानवता को तरजीह मिलने लगी और जातीय भेदभाव में शिथिलता परिलक्षित होने लगी। इसी तरह महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आया और उन्हें घर के बाहर के सामाजिक कार्यों या व्यवसायिक स्वतंत्रताओं की प्राप्ति होने लगी। इसी तरह धार्मिक आन्दोलन के फलस्वरूप एक ऐसे सन्तों का वर्ग अस्तित्व में आया, जो सूफी था और भारतीय धार्मिक समरता के लिए यत्न कर रहा था। इसके परिणामस्वरूप हिन्दू-मुस्लिम धर्मशास्त्रों का हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी आदि में अनुवाद आरम्भ हुआ तथा लोग एक-दूसरे के धर्म को समझने लगे। इससे धार्मिक समरसता में भी वृद्धि हुई। इन परिवर्तनों एवं प्रभावों के बाद भी भारतवर्ष में कभी भी समस्त जातीय-धार्मिक विभेद समाप्त नहीं हुए और एक स्थायी रेखा खिंची रही, जो आज भी अपने विभाजन निशान को बनाये हुए है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए। जिनका शोधार्थी विनोद सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे (डॉ) जी. सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ) एसडी सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ.अशोक कुमार सिंह एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष अंजनी कुमार गौतम, डॉ० संजय कुमार, डॉ० गोपाल सिंह यादव, डॉ० बद्रीनाथ सिंह, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० रविशेखर सिंह, डॉ० रामदुलारे, डॉ० लव जी सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० अतुल कुमार सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे।

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