नई शिक्षा नीति तथा मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जनभागीदारी कार्यशाला का आयोजन

 नई शिक्षा नीति तथा मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जनभागीदारी कार्यशाला का आयोजन

कौशल आधारित शिक्षा व्यवस्था का विकास होना जरुरीः सिद्वार्थ

गाजीपुर। केन्द्रीय विद्यालय में मंगलवार को नई शिक्षा नीति तथा मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जनभागीदारी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित एवं सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धार्थ राय, प्राचार्य मृत्युंजय राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर तथा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। प्राचार्य मृत्युंजय राय ने कहा कि भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में सभी को साक्षर करना तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना सभी शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी है। शिक्षा ही किसी भी देश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता नीरज राय ने पावरप्वाइंट की सहायता से बच्चों के अंदर भाषा की समझ और विकास तथा शिक्षा में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका को सुंदर ढंग से रेखांकित किया।

उन्होंने अनेक जीवंत उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखते हुए बताया कि शिक्षा में भाषा के इसी महत्व को समझते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम रखने की संस्तुति की गई है। इसके उपरांत प्रतिभागियों के मध्य रोचक क्रियाकलाप का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों ने शिक्षण सामग्री बनाने तथा विभिन्न शिक्षण पद्धतियों का अभ्यास किया। शिक्षक पंकज सिंह कुशवाहा ने मूलभूत शिक्षा और संख्यात्मकता पर पीपीटी के माध्यम से अपनी बात रखते हुए बताया कि बच्चों में उनकी उम्र के हिसाब से एक निर्धारित शैक्षिक योग्यता का विकास हो रहा है कि नहीं इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि बच्चों में उनके उम्र के हिसाब से संख्यात्मकता का विकास हो यह जिम्मेदारी भी शिक्षक की है। मूलभूत शिक्षा और संख्यात्मकता का मूल उद्देश्य है कि कक्षा तीन तक बच्चे के अंदर सामान्य भाषा शब्द, छोटे वाक्य आदि की समझ तथा सामान्य जोड़-घटाना, गिनती आदि की संख्यात्मक योग्यता विकसित हो जाए। मुख्य अतिथि और सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धार्थ राय ने कहा कि शिक्षा जब तक रोजगारोन्मुख नहीं होगी तब तक इसका कोई लाभ नहीं। इसके लिए यह आवश्यक है कि कौशल आधारित शिक्षा व्यवस्था का विकास किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में सभी के लिए नौकरी उपलब्ध करवा पाना किसी के लिए संभव नहीं है। रोजगार का मतलब सिर्फ नौकरी नहीं है, बल्कि व्यक्ति को इस काबिल बनाया जाए कि वह स्वरोजगार कर सके, स्वावलंबी बन सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से इस मामले में मील का पत्थर साबित होगी।

हाल ही में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित सिद्धार्थ राय ने कहा कि वह आज केन्द्रीय विद्यालय में आकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वह स्वयं भी केन्द्रीय विद्यालय के छात्र रहे हैं। जीवन में आज वह जिस भी मुकाम पर हैं उसमें केन्द्रीय विद्यालय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इस वर्ष भारत G20 की अध्यक्षता कर रहा है।

इसके अंतर्गत भारत के विभिन्न शहरों में 1 से 15 जून तक आयोजित विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों से प्राप्त नए विचारों और आइडियाज को 19 से 22 जून तक पूछे में आयोजित होने वाली चौथी G20 शैक्षणिक कार्य समूह बैठक में G20 देशों के साथ साझा किया जाएगा तथा उत्कृष्ट कार्यों को वहां प्रदर्शित भी किया जाएगा। कार्यशाला में केन्द्रीय विद्यालय में एक जून से अब तक आयोजित गतिविधियों और कार्यक्रमों की झलक भी वीडियो के माध्यम से दिखाई गयी। कार्यशाला के अंत में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। संचालन संयोजक नीरज राय ने किया। उन्होंने बताया कि 15 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का समापन 15 जून को होगा। कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय गाजीपुर, केन्द्रीय विद्यालय मऊ, शाह फ़ैज़, एमजेआरपी, सनबीम, चिन्मय भारत एकेडमी, माउंट लिट्रा जी स्कूल, रामदूत इंटरनेशनल, डालिम्स सनबीम, जय गुरुदेव राज पब्लिक तथा कुछ परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाएं नूरजहां, कमला सिंह यादव, शिवांगी, नावेन्द्र कुमार भारती, आंचल सिंह, शशि जायसवाल, पंकज, ऋचा प्रधान, रीता जायसवाल, रमेश सिंह, हुमैरा शाहिद, अभिषेक राय,हिमांशु राय,पंकज कुमार, रीता जायसवाल, देवेंद्र प्रजापति, शादाब सलीम ,हनी अहमद सिद्दिकी, रमेश कुमार सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार, दीक्षा सिंह, शोभा, जितेंद्र कुमार शर्मा, नरेंद्र कुमार और आंचल सिंह सहित लगभग 38 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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