चार साल बाद विधायक को हुआ जनता की तकलीफों का एहसास

 चार साल बाद विधायक को हुआ जनता की तकलीफों का एहसास

गाजीपुर। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रायः सभी राजनीतिक पार्टियों ने सियासी खेल खेलना शुरु कर दिया है। एक तरफ जहां विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी पार्टी द्वारा रेवड़ी की तरह पद बांटने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। वहीं अब जनप्रतिनिधियों को जनता की तलकीफें भी दिखने लगी है। जंगीपुर विधायक को चार वर्ष बाद जनता के आवागमन में हो रही तकलीफों का एहसास हुआ है। फिर क्या था, राजनीतिक फर्ज निभाने के लिए वह डीएम के पास पहुंचे और पत्रक देकर सड़कों की दशा सुधारने की मांग कर दी। ऐसा न करने पर धरना की चेतावनी भी दे डाली।
वैसे अभी तक तो विधानसभा चुनाव का बिगुल नहीं बजा है, लेकिन राजनीतिक गलियारें में इसका शोर सुनाई देने लगा है। सत्ताधारी पार्टी ने वोट के लिए एक तरफ जहां तमाम कल्याणकारी योजनाओं की झड़ी लगाना शुरु कर दिया है, वहीं विपक्षी दलों के नेताओं ने लोगों को अपने पन का एहसास कराने के लिए महंगाई सहित अन्य मुद्दों को लेकर आएदिन आवाज बुलंद करना शुरु कर दिया है। ये दल आएदिन विभिन्न मुद्दों को लेकर सत्ताधारी पार्टी को घेरने का काम कर रही है। सत्ताधारी के जनप्रतिनिधि भी आएदिन आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सरकार की विभिन्न योजनाओं से जनता को अवगत कराते हुए पार्टी की अच्छाइयों से अवगत कराने का काम कर रहे हैं। यही नहीं सत्ताधारी के साथ ही विपक्ष पार्टियां भी रेवड़ी के तरह पद बांटने का कार्य भी शुरु कर दिया गया है। आएदिन इन पार्टियों में छोटे-बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को पद की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इसके बाद पार्टी के नेता-कार्यकर्ता पद मिलने वाले का सम्मान करते हुए उनका सीना चौड़ा कर रहे हैं। शायद यह विधानसभा चुनाव की आहट है कि जंगीपुर विधायक डा. वीरेंद्र यादव को चार साल बाद अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के आवागमन की तकलीफों का एहसास हुआ। अभी तक वह इस बात से वाकिफ नहीं थे कि उनके क्षेत्र की कई सड़कें चलने लायक नहीं है। फिर क्या था, जनता की तकलीफों को दूर करने के लिए वह डीएम के दरबार में पहुंचे और सड़कों की दशा सुधारने के उन्हें पत्रक सौंपा। यही नहीं इस बात की भी चेतावनी दिया कि यदि 15 दिनों में सड़कों की दशा नहीं सुधरी तो वह धरना पर बैठेंगे। कुल मिलाकर विधायक जी को चार वर्ष बाद अपने क्षेत्र की खस्तहाल सड़कों की याद आई। यदि विधायक के मन में जनता की इस तकलीफ की बात पहले ही आ गई होती तो शायद आज क्षेत्र की सभी खस्ताहाल सड़कें दुरुस्त हो गई होती। कुल मिलाकर अभी तक तो विधानसभा चुनाव का बिगुल नहीं बजा है, लेकिन राजनीतिक गलियारें में इस चुनाव का शोर सुनाई देने लगा है। चुनावी मैदान में बाजी मारने के लिए सत्ताधारी पार्टी के साथ ही अन्य राजनीतिक दलों ने भी राजनीतिक गुणा-गणित बैठाना कर दिया है।

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