राजनीति

कोई विकास पुरुष है तो कोई धरतीपुत्र नेता ,नही है कोई कल-कारखाना – अरुण सिंह

गाजीपुर । सर्वदलीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन अरुण सिंह ने रविवार को नगर के एक पैलेस में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि माफियाओं व गुड़ों से व्यापारियों , गरीब दलितों, मजलूमों, असहायों और बेसहारों को न्‍याय दिलाने के लिए हमेशा संघर्ष किया है। जिसके चलते शासन-प्रशासन और तत्‍कालीन माफियाओं की निगाहें हमारे ऊपर लगी रहती है। माफिया मेरी हत्‍या कराना चाहते थे और आज भी जिस आंदोलन को लेकर मैं संघर्षशील हूं उसके चलते एक गैंगेस्‍टर माफिया मेरी हत्‍या कराना चाहता है । लंबे समय से चले गैंगवार में सैकड़ों हत्‍याएं हुई और हजारो घर बर्बाद हो गये। उस लड़ाई में भी मैं एक पक्ष के लिए न्‍याय दिलाने के लिए लड़ता रहा। तबसे लेकर आज तक मैं न्‍याय की लड़ाई लड़ रहा हूं।


उन्होनें कहा कि 2015 में अपराध अपने चरम सीमा पर था। अपराधी खुलेआम हत्‍या व लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। अपराधियों के खिलाफ हमने शासन-प्रशासन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन भी किया था। 15 मार्च को महुआबाग स्थित यूको बैंक के गेट पर लुटेरों ने मनोज सिंह की गोली मारकर हत्‍या कर करीब 30 लाख रुपये लूट लिये थे। जिससे पूरा जिला भयभीत हो गया था। इस घटना के बाद हमने सर्वदलीय संघर्ष समिति का गठन कर उस घटना का विरोध करना शुरु किया। लेकिन किसी भी पक्ष-विपक्ष के नेताओं की हिम्‍मत नही थी कि विरोध कर सके। हमने इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन किया। कुछ दिनों बाद मनोज सिंह हत्‍याकांड के मुख्‍य आरोपी की हत्‍या हो गयी। इस हत्‍याकांड में तत्‍कालीन मंत्री ने हमें फंसवा दिया। जिसके चलते मैं करीब सात वर्ष जेल में रहा। अरुण सिंह ने बताया कि दुर्भाग्‍य की बात है कि पुलिस के सहयोग के लिए हमने लड़ाई लड़ी और पुलिस ने ही हमें फर्जी फंसा दिया। वर्तमान समय में करंडा ब्‍लाक में फरार गैंगेस्‍टर ब्‍लाक प्रमुख आशिष यादव ने दबंगई के बल पर 40 लाख का फर्जी भुगतान करा लिया है। जिसकी शिकायत डीएम से किया है। इसके बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अरुण सिंह ने कहा कि जिले की सड़कों की हालत बहुत खराब है और सत्ताधारी नेता गांधी जी के बंदर बने हुए है । इनका जनता से कोई मतलब नही है । उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि कोई विकास पुरुष है इस जनपद का तो कोई धरतीपुत्र नेता है। फिर भी यहां कोई कल-कारखाना नही है। जिससे बेरोजगारी दूर हो सके। बहादुरगंज व नंदगंज का कारखाना भी बंद हो गया है। बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। शिक्षा के मामले में तो भगवान ही मालिक है। भ्रष्‍टाचार चरम पर है। थाने से लेकर तहसील तक खुलेआम भ्रष्‍टाचार का खुला खेल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि छह साल बीत जाने के बाद भी चकबंदी विभाग से किसानों को यूनिक कोड नही मिला है । जिसके चलते उन्‍हें भारी परेशनी का सामना करना पड़ रहा है। जिले के ज्‍वलंत समस्‍याओं को लेकर 21 दिसंबर को सर्वदलीय संघर्ष समिति की बैठक होगी। उन्‍होने बताया कि संघर्ष समिति कोई राजनीतिक दल नही है। इसके सदस्‍य अपने विवेक पर किसी का भी समर्थन कर सकते हैं। वैसे चरित्रवान, कर्मठ और विकास करने वाले प्रत्‍याशी को ही प्राथमिकता दिया जायेगा।

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