अपराध

साइबर सेल ने पीड़ितों के खाते में वापस कराया रुपया

—रुपया वापस पाकर पीड़ितों के चेहरे पर आई मुस्कान, साइबर सेल के प्रति जताया आभार

गाजीपुर। साइबर सेल ने साइबर अपराध के शिकार छह पीड़ितों को उनका पैसा वापस कराकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का सराहनीय कार्य किया। पुलिस कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने बताया कि साइबर सेल ने साइबर अपराध के शिकार हुए छह लोगों का 6 लाख 52 हजार 500 सौ रुपया वापस कराया।
उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्रों पर कार्यवाही के लिए दिए गए आदेश-निर्देश के अनुपालन के तहत आवेदको के अवैध ट्रांजेक्शन होने की शिकायत पर प्रभारी साइबर सेल उपनिरीक्षक वैभव मिश्रा मय टीम प्रकरण का अध्ययन करते हुए अवैध ट्रांजेक्शन जिन पेमेंट गेटवे के माध्यम से लगे हुए थे। संबंधित कंपनी/मर्चेन्ट को त्वरित रूप से जरिए मेल पत्राचार कर एवं दूरभाष पर संपर्क कर अवैध ट्रांजेक्शन रोकने एवं ट्रांजेक्शन की जानकारी प्रदान करने संबंधी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए आवश्यक कार्यवाही की गई। इसके फलस्वरुप कुल 06 ऑफलाइन/ऑनलाइन आवेदक के प्राप्त प्रार्थना पत्रों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए आवेदको की गाढ़ी कमाई को खातें में वापस कराया गया। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम के शिकार हुए पीड़ित रेवतीपुर निवासी प्रवण विक्रम सिंह, सदर कोतवाली के रामचंद्र प्रसाद, नंदगंज निवासी सुशील कुमार, खानपुर निवासी मोहम्मद नसीम, यही के दयाशंकर और करंडा के मनोज का कुल 6 लाख 52 हजार 500 रुपया वापस कराया गया। एसपी ने कहा कि साइबर क्राइम के माध्यम से साइबर फ्राड की घटनाएं हो रही है। हमारे जनपद में भी समय-समय पर ऐसी शिकायतें प्राप्त होती है। उन्होंने लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि लामान्य रूप से टेलीफन पर किसी भी बारे में जैसे एटीएम के बारे में या किसी लिंक को डाउनलोड करने के बारे में या कई बार यह होता है कि आपकी लाटरी निकल निकल गई है, इसके बिल के भुगतान के बारे में अपना खाता नंबर दे या अन्य तरह की जानकारी मांगी जाती है, ऐसे लोगों के झांसे में आप लोग न आए। यदि बैंक के नाम पर फोन आया तो अधिकारी से संपर्क कर सच्चाई की जानकारी करें। क्योंकि बैंक कभी भी किसी से उसका एटीएम आदि नंबर नहीं मांगता है। आप जागरूक रहे। अनावश्यक रूप से किसी के झांसे में न आए। उधर अपनी मेहनत की कमाई पुनः प्राप्त होने पर आवेदको ने साइबर सेल के प्रति आभार व्यक्त किया। साइबर टीम ने उपनिरीक्षक वैभव मिश्रा के साथ कांस्टेबल मुकेश कुमार, कांस्टेबल राजकुमार, कांस्टेबल विकास श्रीवास्तव, कांस्टेबल शिव प्रकाश यादव और महिला कांस्टेबल प्रतिभा शुक्ला शामिल रही।

—ऐसे बनाया जाता है शिकार
साइबर ठगों द्वारा लोगों को फोन और ई-मेल कर किसी को लाटरी लगने का मैसेज, किसी को फोन कर उसका बैंक अकाउण्ट हैक होने व कार्ड बंद होने का डर दिखाकर जानकारी ली जाती है। किसी को एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाकर ठगी का शिकार बना लेतें हैं।

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