कानून व्यवस्था की पिच पर पुलिस कप्तान ने खेली शानदार पारी

 कानून व्यवस्था की पिच पर पुलिस कप्तान ने खेली शानदार पारी

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—आपरेशन लंगड़ा के तहत 123 दिन में हुए मुठभेड़ में पुलिस की गोली से घायल हुए आठ बदमाश
—कुछ भाजपा नेताओं पर पुलिस द्वारा की गई गलत कार्रवाई से एसपी के प्रति नाराज था भाजपा संगठन
—बीजेपी नेताओं संग पंगा और कई थानों में रिश्वतखोरी मामले को जोड़ते हुए लोग देख रहे एसपी के तबादले को
—सत्ताधारी पार्टी के एक जनप्रतिनिधि से जुड़े लोग एसपी के जाने को लेकर मान रहे अपने नेता का एक्शन

गाजीपुर। पुलिस अधीक्षक रोहन पी बोत्रे ने 127 दिन जिले की कमान संभाली। इस दौरान पुलिस कप्तान ने कानून व्यवस्था की पिच पर शानदार बल्लेबाजी की। उनके इसी बल्लेबाजी का कमाल रहा कि 123 दिन में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में पुलिस की अपराधियों से आठ मुठभेड़ हुई। इस दौरान जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली से आठ बदमाश घायल हुए। पुलिस के इस एक्शन का अपराधियों में इस कदम खौफ समाया कि एक बदमाश ने पुलिस आफिस में आत्मसमर्पण तक कर दिया था। इसी खौफ का परिणाम था कि जिले में आपराधिक वारदातों में काफी हद तक कमी आई भी है। हालांकि इस बीच पुलिस की कुछ गलत कार्यप्रणाली की वजह से भाजपा नेताओं सहित अन्य लोगों में पुलिस के प्रति नाराजगी भी दिखी।

पुलिस कप्तान रोहन पी बोत्रे के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो उन्होंने 5 जुलाई 2022 को जिले की कमान संभाली थी। कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों संग बैठक की थी। इस दौरान मातहतों को सख्त हिदायत दिया था कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा न जाए। अपराधियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया और निदोर्षों को बेवजह प्रताड़ित न करते हुए उन्हें न्याय दिलाया जाए। एसपी के इस फरमान के बाद थानों की पुलिस के साथ ही एसओजी टीम फार्म आते हुए अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरु कर दिया था। इस दौरान आपरेशन लंगड़ा के तहत 123 दिनों में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में थाना पुलिस और एसओजी टीम की बदमाशों से आठ मुठभेड़ हुई। पुलिस के इस उग्र रूप से देख अपराधियों के भी पसीने छूटने लगे। शायद यही कारण था कि 28 जुलाई को लूट की वारदात में वांछित सदर कोतवाली क्षेत्र के महराजगंज निवासी विशाल बिंद सीने और पीठ पर आत्मसमर्पण की तख्ती लटकाए दिन में पुलिस कार्यालय पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया था। गोली का जवाब गोली से देने की वजह से अपराधियों में पुलिस का खौफ समा गया था और अपराधिक वारदातों में काफी हद तक कमी आ गई थी। इसके साथ ही माफिया मुख्तार सहित उनके नाते-रिश्तेदारों, उनसे जुड़े लोगों के साथ ही मादक पदार्थ और गौ तस्करों के खिलाफ कुड़ी की कार्रवाई की गई। कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के एसपी के इस तेवर के बीच यह बात भी सामने आती रही है कि कई थानों में नियम-कानून के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पुलिस अपने फायदे के लिए रिश्वत लेकर बड़े से बड़े मामलों को भी रफा-दफा कर दे रही है, जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है और कानून व्यवस्था को लेकर लोगों में निराशा गहराता जा रहा था। यही नहीं पुलिस ने कई भाजपा नेताओं के खिलाफ भी गलत कार्रवाई की। कासिमाबाद क्षेत्र के भाजपा नेता और जिला पंचायत सदस्य राजकुमार सिंह झाबर का एक चिकित्सक से विवाद हुआ था। इस मामले में एक माननीय के हस्तक्षेप से एफआईआर दर्ज करते हुए पुलिस ने भाजपा नेता को गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान थाना में उनका उत्पीड़न करने के बाद जेल भेज दिया था। दूसरी घटना जमानिया की है। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और भाजपा के मनोनीत सभासद जयप्रकाश गुप्ता पर पुलिस ने पशु तस्करी का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया था। इन दोनों प्रकरणों को लेकर भाजपा संगठन में एसपी के प्रति काफी नाराजगी रही वह लगातार शीर्ष नेताओं को इस मामले से अवगत भी कराये। बीते 8 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा द्वारा आयोजित भागवत कथा के समापन पर आयोजित भंडारा में शामिल होने आए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सहित रक्षा मंत्री को भाजपा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह और नेताओं ने इस मामले से अवगत कराया था। यही नहीं बीते माह सकरा में हुए बीएसएफ जवान की पत्‍नी की निर्मम हत्‍या सहित अन्य मामलों में पुलिस द्वारा किए गए पर्दाफाश को संदिग्‍ध नजरों से देख रहे है। इसी बीच बीते 11 नवंबर की रात पुलिस अधीक्षक के तबादले का फरमान आ गया था। उन्हें मुख्यालय पुलिस महानिदेशक से संबद्ध कर दिया गया। उनके स्थान पर पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ से ओमवीर सिंह को गाजीपुर का नया एसपी नियुक्त किया गया है। एसपी रोहन पी बोत्रे के स्थानांतरण को लेकर राजनीतिक गलियारों सहित अन्य लोगों में चर्चा शुरु हो गई है। एसपी को जिले से जाने को लेकर लोग तरह-तरह का कयास लगा रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के जिले के एक जनप्रतिनिधि से जुड़े लोग सियासी कद बढ़ाने के लिए एसपी के तबादले को अपने नेता का एक्शन मान रहे हैं। कुल मिलाकर मात्र 127 दिनों में ही एसपी का जिले से रुख्सत होना सियासीबाजों सहित आम लोगों के मन में तरह-तरह का सवाल पैदा कर रहा है, लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इतने दिनों में ही एसपी ने कानून व्यवस्था की पिच शानदार बल्लेबाजी की। अब देखना है कि नवागत एसपी ओमवीर सिंह पुलिसिंग व्यवस्था को अच्छी तरह से कायम रखते हुए आपराधिक घटनाओं को लेकर आएदिन सुर्खियों में रहने वाले जिले में कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने में कितना सफल हो पाते है।

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