दहशतगर्दी के लिए इस्लाम में कोइ जगह नहीं हैःओलमा-एकराम
—परंपरागत ढंग से मनाया गया बारावफात का पर्व, निकला जुलूस
बहरियाबाद (गाजीपुर)। स्थानीय कस्बा सहित मुस्लिम बहुल गांवो में पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत का जश्न मनाया गया। दोपहर से उत्तर मुहल्ला स्थिति शमीमुलवरा के आवास से जुलूस बरामद हुआ जो निर्धारित रास्तों से बाजार होते हुए वापस पहुंचा। इस दौरान अकीदतमंद सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा के नारे लगाते हुए चल रहे थे।
जुलूस में बूढ़े जवान बच्चे सभी शामिल थे तथा तरन्नुम के साथ नातिया कलाम पढ़ रहे थे। जुलूस में प्रमुख रूप से शमीमुलवरा, निसार अहमद, दानिशवरा, शादाब, सलीम अंसारी, अनीसवरा, दानिशवरा, अबू फखर, अफजाल वारसी आदि शामिल रहे। शनिवार की रात रायपुर बाजार स्थित आजाद अहमद के सहन में जश्न ईद-मिलादुन्नबी का जलसा आयोजित किया गया। जिसमें ओलमा-एकराम ने खेताब फरमाते हुए आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत पर रोशनी डालते हुए उनके मोजजे बयान किये। नमाज की पाबंदी की अपील करते हुए कहा कि अगर हम सब मुहम्मद साहब की जिंदगी को आइनादार बना लें और उनकी समुन्नतों पर अमल करना शुरू कर दें तो हम दीन और दुनिया दोनों में सुरखुरू हो जाएंगे। दहशतगर्दी के लिए इस्लाम में कोइ जगह नहीं है।
पैगम्बर ने हमेशा अमन, भाईचारा, हमदर्दी गमगुसारी और इमदाद का सबक दिया है। स्थानीय के साथ ही अन्य जनपदों से आए नातख्वान ने हम्द नातिया कलाम व मन्कबत पेश किए। मदरसा दारूल उलूम मखदूमिया मखदूमपुर से बारावफात के पर्व पर जुलूसे मुहम्मदी निकाला गया, जो कस्बा व बाजार भ्रमण करते हुए वापस आया। जुलूस में प्रमुख रूप से मुमताज अहमद, कारी शब्बीर, कारी माहताब, महफूज आलम, शहाबुद्दीन, शहजाद, आजाद अहमद, शादाब मुन्ना आदि शामिल रहे। दरगाह, मलिकन गांव, पलिवार, रायपुर, देईपुर, झोटना आदि गांवो में भी बारावफात का पर्व परंपरागत ढंग से मनाया गया।