रामायण लिखने का श्रेय एक ऐसे ऋषि को जाता है, जो कभी डाकू हुआ करते थेःएसडीएम
—जखनिया तहसील परिसर में स्थित मंदिर में आयोजित हुआ पाठ और भजन
दुल्लहपुर (गाजीपुर)। वाल्मीकि जयंती पर जखनिया तहसील परिसर में स्थित मंदिर पर उपजिलाधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव, तहसीलदार रामजी, नायब तहसीलदार सत्येन्द्र मौर्य, जयप्रकाश ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन-अर्चन के बाद विद्धानों द्वारा रामायण सुंदर पाठ और भजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर उपजिलाधिकारी ने बताया कि रामायण लिखने का श्रेय एक ऐसे ऋषि को जाता है, जो कभी डाकू हुआ करते थे। हालांकि बाद में नारद मुनि के साथ हुई मुलाकात के बाद उनका हृदय परिवर्तित हुआ और उन्होंने लूट-पाट करना छोड़कर सत्कर्म का मार्ग अपनाया। उन्होंने कहा कि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक अपने पापों की क्षमा मांगने के लिए रत्नाकर ने ब्रह्मा जी का कठोर तप किया। तप में लीन रत्नाकर के शरीर पर दीमक की मोटी परत चढ़ गई। ब्रह्मा जी ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें वाल्मीकि नाम दिया। कहा जाता है कि जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता को त्याग दिया था, तब वह ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी थीं, जहां उन्होंने अपने दोनों पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था। ऋषि वाल्मीकि ने ही महाकाव्य रामायण लिखी। इस अवसर पर अधिवक्ता आखिलानंद सिंह, रामदुलार राम, रामजी, बृजेश पाठक, आशुतोष मिश्रा, अखिलेश चौहान आदि उपस्थित रहे।