राम के वन जाने का वरदान मांगते ही मूर्छित हुए महाराज दशरथ

 राम के वन जाने का वरदान मांगते ही मूर्छित हुए महाराज दशरथ

—अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी की रामलीला

गाजीपुर। अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के पांचवे दिन रविवार की रात हरिशंकरी स्थित श्रीराम चबूतरा पर वन्देवाणी विनायको आदर्श रामलीला मंडल द्वारा श्री दशरथ कैकेयी, श्रीराम संवाद का मंचन किया गया, जिसे देखकर दर्शको के आंखो में आंसू छलक उपड़े।

लीला के दौरान दिखाया गया कि महाराज दशरथ को जब दासियों द्वारा महारानी कैकेयी के कोप भवन में जाने की सूचना मिलती है तो अपने राज दरबार से उठकर महारानी कैकेयी के कक्ष में जाते हैं और उन्होंने देखा वहां भी कैकेयी नहीं है, उन्होंने दासियों से महारानी कैकेयी के बारे में जानने की कोशिश की तो दासी द्वारा ज्ञात होता है कि महारानी जी किसी कारणवश गुस्से में होकर कोप भवन में जाकर अपने वस्त्राभूषण तथा गहने को बिखेरकर जमीन पर लेटी हुई हैं।

दासियों के कहने के अनुसार महाराज दशरथ कोप भवन में जाते है को महारानी कैकेयी राजसी वस्त्राभूषणों को उतारकर फटे-पुराने कपड़े को धारण कर जमीन पर लेटे हुए देखते हैं, वे महारानी से क्रोध का कारण पूछा, तब महारानी कैकेयी द्वारा उन्हें पता चलता है कि उन्होंने देवासुर संग्राम के दौरान महारानी से खुश होकर 2 वरदान देने का वचन दिया था,

तब राजा दशरथ ने कहा कि जो वरदान मुझे देने थे, मांग लो, तब महारानी कैकेयी ने पहले वरदान में अयोध्या का राज अपने पुत्र भरत को देने को मांगा ली और दूसरे वरदान में उन्होंने कहा कि तापस बेषि विषेषि उदासी 14 वरिस रामवनवासी महाराज दूसरे वरदान में आपसे मांगना चाहती हूं कि तपस्वी के वेष में राम को 14 वर्ष के लिए वन जाने का वरदान चाहिए।

महाराज दशरथ ने पहला वरदान भरत को राज देने का स्वीकार किया, लेकिन दूसरे वरदान में राम के वन जाने की जगह दूसरा वरदान मांगने को कहा, लेकिन महारानी कैकेयी अपने वचन से दृढ़ रही, जब महारानी नहीं मानी तो महाराज दशरथ मूर्छित हो गए।

जब दूतों द्वारा राजदरबार में राम को पता चला कि पिताजी कैकेयी के कक्ष में मूर्छित पड़े हैं, वे राज दरबार से उठकर कैकेयी के कक्ष में आकर देखा तो पिता दशरथ को मूर्छित पड़े थे, यह देखकर उन्होंने पिता के मूर्छित होने का कारण माता कैकेयी से पूछा, तब महारानी कैकेयी ने सबकुछ बता दिया। जब श्रीराम को वन जाने की बात आई तो पिता के वचन को स्वीकार करते हुए पिता से आज्ञा लेकर मां कौशल्या के कक्ष में जाते हैं,

फिर वहां पर लक्ष्मण और सीता को भी पता चलता है कि प्रभु श्रीराम को कैकेयी द्वारा महाराज दशरथ से दूसरे वचन में वन जाने के लिए वचन दिया तो वे दोनों लोग भी श्रीराम के साथ वन जाने के लिए तपस्वी वेष में आकर माता कैकेयी के कक्ष में पुनः आकर अपने माता कैकेयी, पिता दशरथ, गुरू वशिष्ठ के चरणों में प्रणाम करते हुए वन जाने के लिए आज्ञा मांगते हैं। इस लीला को देखकर उपस्थित दर्शकों के आंखो से आंसू छलक उठे और वह जय श्रीराम और हर-हर महादेव का उद्घोष करने लगे।

इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी बच्चा, संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नरायन, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, प्रबंधक वीरेश राम वर्मा, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, अजय कुमार पाठक, बांके तिवारी, योगेश कुमार वर्मा एडवोकेट, सरदार चरनजीत सिंह, मनोज तिवारी, वरूण कुमार अग्रवाल, रामसिंह यादव, राजकुमार शर्मा, कुश कुमार त्रिवेदी, विश्वम्भर गुप्ता सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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