उत्तर प्रदेश

साहित्य कृतित्व ने दिनकर जी को समाज में दिलाया था ऊंचा स्थानःमारुति राय

—उल्लास पूर्वक मनाई गई रामधारी सिंह दिनकर की 114वीं जयंती

गाजीपुर। स्वामी सहजानंद सरस्वती स्मृति न्यास द्वारा प्रवर्तित संगठन ब्रह्मर्षि जागरण मंच द्वारा रामधारी सिंह दिनकर की 114वीं जयंती उल्लास पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री मंत्र एवं रामधारी सिंह दिनकर और स्वामी सहजानंद सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अधिवक्ता मारुति कुमार राय ने कहा कि पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित डा. रामधारी सिंह दिनकर का व्यक्तित्व एवं साहित्य कृतित्व ने समाज में उन्हें ऊंचा स्थान दिलाया था।

उन्होंने कहा कि यह प्रतिभा का कमाल था कि एक सामान्य परिवार में पैदा हुए रामधारी सिंह दिनकर जी ने लगातार तीन बार राज्यसभा में बतौर सांसद अपना प्रतिनिधित्व दिया था। प्रेम शंकर राय उर्फ जवाहिर राय ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर में कविता की प्रतिभा बचपन से ही थी, जब वह पहली कक्षा के छात्र थे, उस समय ही उन्होंने काव्य रचना कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। अपनी कविता पाठ से दिनेश शर्मा जी ने कार्यक्रम में समा बांध दिया। रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं का पाठ कर वक्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। गिरीश कुमार राय सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक ने अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि रामधारी सिंह दिनकर जी राष्ट्रकवि के साथ-साथ जनकवि भी थे। उन्होंने सामाजिक समस्याओं पर अपनी लेखनी चलाई, जिसका बहुत व्यापक प्रभाव पड़ा।अरविंद कुमार राय ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। दिनकर जी जो मूल रूप से वीर रस के कवि थे, किंतु जब श्रृंगारिक कविता लिखा तो मजबूर होकर उस पर ज्ञानपीठ पुरस्कार देना पड़ा। इसी प्रकार उनकी रचना कुरुक्षेत्र के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा की गई। रामनाथ ठाकुर ने कहा कि ब्रह्मर्षि जागरण मंच इसी प्रकार महापुरुषों को सम्मान दिलाने के लिए सदैव कृत संकल्पित है। ओम नारायण प्रधान ने रामधारी सिंह दिनकर जी की निजी जिंदगी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के प्रति काफी संवेदनशील एवं आंदोलित भी थे। जितेंद्र नारायण राय ने कहा रामधारी सिंह दिनकर सच्चे अर्थों में विद्रोही थे एवं उन्होंने इस बात की कभी परवाह नहीं किया कि हमें कांग्रेस ने राज्यसभा में भेजा है, जरूरत पड़ने पर उन्होंने नेहरू का भी विरोध करने में संकोच नहीं किया और कहा कि हिंदी की दुर्दशा आपकी वजह से हो रही है। इस अवसर पर जोखू राय, उमाकांत राय, राम सहाय राय, डा. जयराम राय, ओम नारायण प्रधान, दिनेश शर्मा, विकास ठाकुर, कुंज बिहारी राय, ओमप्रकाश राय आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता डा. रामाश्रय राय एवं संचालन मारुति कुमार राय एडवोकेट ने किया।

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