राष्ट्रीय चेतना के प्रतिनिधि कवि थे दिनकरःकुमार निर्मलेंदु

 राष्ट्रीय चेतना के प्रतिनिधि कवि थे दिनकरःकुमार निर्मलेंदु

—आयोजित हुई वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रवाद और रामधारी सिंह दिनकर विषयक संगोष्ठी

गाजीपुर। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीय चेतना के प्रतिनिधि कवि थे। उन्होंने अपने साहित्य सृजन के शुरुआती दौर में प्रखर राष्ट्रीय चेतना को अभिव्यक्ति प्रदान की। उनकी राष्ट्रीयता स्वाभाविक है। यह बातें शुक्रवार को स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रवाद और रामधारी सिंह दिनकर विषयक संगोष्ठी में कुमार निर्मलेन्दु ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।

उन्होंने दिनकर के साहित्यिक अवदान का विस्तृत समीक्षा परक लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए उन्हें विद्रोह का कवि तथा शोषित-वंचित समूह की प्रतिध्वनि बताया। अपना विशिष्ट वक्तव्य देते हुए डा. विनय कुमार दुबे ने कहा कि राष्ट्रवाद या राष्ट्रीयता हमें हमारे कर्तव्यों के प्रति उन्मुख करती है। दिनकर की रचनावली को उद्धरित करते हुए उन्होंने कहा कि कर्म से बड़ा कोई राष्ट्रवाद नही है। डा. श्रीकांत पांडेय ने कहा कि दिनकर के राष्ट्रवाद का फलक बहुत व्यापक है। उन्होंने दिनकर को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का समावेशी कवि बताया। दिनकर की हुंकार और कुरुक्षेत्र की पंक्तियों को उधृत करते हुए डा. पांडेय ने उन्हें राष्ट्रीयता से ओतप्रोत तथा गरीबी, असमानता, सामाजिक भेदभाव जैसे मुलभु बिंदुओं पर सकारात्मक सोच वाला साहित्यकार बताया। डा. उमा शर्मा ने अपने संबोधन में राष्ट्रवाद की प्राचीन अवधारणा को रेखांकित करते हुए उसके ऐतिहासिक स्वरूप की विवेचना प्रस्तुत की। उन्होंने दिनकर के साहित्य के तार को ऋग्वेद की ऋचाओं से जोड़कर उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को व्यवष्ठित रूप से उद्घाटित करने का प्रयास किया। संगोष्ठी के संयोजक डा. सतीश कुमार राय ने दिनकर को मानवीय संवेदना से पूर्ण कवि बताया।

डा. राय ने राष्ट्रवाद के पक्ष और प्रतिपक्ष से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता बताई। महाविद्यालय के प्राचार्य और संगोष्ठी के संरक्षक प्रो. वीके राय ने राष्ट्रवाद की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा ही भारतीय परिप्रेक्ष में मूकम्मल राष्ट्रवाद है। साथ ही कर्तव्य के प्रति समर्पण सच्चे राष्ट्रवाद का द्योतक है। कार्यक्रम में डा. विजय कुमार ओझा तथा सौम्या वर्मा ने अपने गीतों से संगोष्ठी को सरस बनाने का प्रशसनीय कार्य किया। स्नातक द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा ने अपने संगीतमय स्वागत गीत से मंचस्थ अतिथियों सहित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर प्रो. राम नगीना सिंह यादव, प्रो. गायत्री सिंह, प्रो. अवधेश नारायण राय, डा. विलोक सिंह, डा. कृष्णा नंद चतुर्वेदी, डा. मधुसूदन मिश्र, प्रो. राम धारी राम, निवेदिता सिंह, तूलिका श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, अवधेश पांडेय, ओमप्रकाश राय, प्रवीण राय, डा. नारनारायन राय, अजय कुमार सिंह, संजय कुमार, सुरेश कुमार प्रजापति आदि उपस्थित थे। संचालन अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय राय ने किया।

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