भारत विभाजन से दिलों एवं भावनाओं का भी हुआ बंटवाराःप्राचार्य

 भारत विभाजन से दिलों एवं भावनाओं का भी हुआ बंटवाराःप्राचार्य

गाजीपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कुशलपाल श्रोतशाला में भारत विभाजन स्मृति दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसको संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर डा. राघवेन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि चौदह अगस्त 1947 को भारत का विभाजन ही नहीं हुआ, बल्कि लोगों के दिलों एवं भावनाओं का भी बंटवारा हुआ, जिसका दंश भारत आज भी झेल रहा है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के आंदोलन में अंग्रेजों के खिलाफ कंधा से कंधा मिलाकर एक साथ लड़ने वाले भाई-भाई की तरह रहे, पर भारत विभाजन के कारण एक-दूसरे के दुश्मन बन गए और हजारों परिवार विभाजन के दंश से बिछड़ कर तबाह हो गए। प्राचार्य प्रोफेसर पांडेय ने भरत विभाजन की विभीषिका से होने वाले लाभ-हानि का जिक्र किया और विभाजन के सभी पहलुओं को विस्तार से समझाया। साथ यह भी बताया कि अगर यह विभीषिका न हुई होती तो वृहद भारत की परिकल्पना को साकार किया जा सकता था।

प्राचार्य ने शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों से अपील किया कि सभी लोग अपने घरों पर देश की आन, बान, शान के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को पूरे मान व सम्मान के साथ अवश्य फहरायें। कार्यक्रम में एनएसएस, एनसीसी, रोवर्स/रेंजर्स के स्वयंसेवक/कैडेट्स एवं भरी संख्या में छात्र/छात्राओं ने बढ़ चढ़कर कर भाग लिया। इस अवसर पर मुख्यनियंता डा. डी.के. सिंह, प्रोफे. अवधेश कुमार सिंह, प्रोफे. धर्मराज सिंह, प्रोफे. सत्येंद्र नाथ सिंह, डा. एस.एस. यादव, डा. रुचिमूर्ति सिंह, डा. राम दुलारे, डा. एसके शुक्ला, डा. अनिल पांडेय, पी.के. सिंह, यशवंत मौर्य, डा. मनोज मिश्रा, अमितेश सिंह, नीरज सिंह आदि वक्ताओं ने भारत विभाजन की विभिषिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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