नम आंखों से लोगों ने शहीद को दी अंतिम विदाई
—राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
—मेघालय राज्य में ड्यूटी के दौरान भारी वर्षा से हुए भूस्खलन से शहीद हो गए थे सतीश
खानपुर (गाजीपुर)। विगत दिनो मेघालय राज्य में ड्यूटी के दौरान भारी वर्षा से हुए भूस्खलन से खानपुर क्षेत्र के मौधा गांव निवासी बीएसएफ के जवान सतीश कुमार सिंह डब्लू (40) शहीद हो गए थे। सोमवार को सेना के अधिकारी जवानों के साथ उनका पार्थिव शरीर लेकर गांव में पहुंचे। शव आते ही एक तरफ जहां परिजन उससे लिपटकर बिलखने लगे। वहीं गांव के लाल के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लग गया। राजकीय सम्मान के साथ जौहरगंज श्मशान घाट पर शव का अंतिम संस्कार किया गया।
जैसे ही सेना के अधिकारी जवानों के साथ तिरंगा में लिपटा हुआ बीएसएफ के जवान का पार्थिव शरीर लेकर घर पहुंचे, मौजूद सैकड़ों लोग भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक सतीश भैया का नाम रहेगा, देखो-देखो कौन आया गाजीपुर का शेर आया आदि गगनभेदी नारे लगाने लगे।
इस दौरान देशभक्ति वातावरण के बीच तमाम लोगों की आंखें छलछला गई। पत्नी विजय लक्ष्मी, पुत्र शिवांग, मां कांति देवी और पिता इंद्रजीत सिंह शव से लिपटकर बिलखने लगे। मौजूद लोग उन्हें सांत्वना देने में जुट गए। पिता इंद्रजीत सिंह, शिवांग सहित उपजिलाधिकारी ओमप्रकाश गुप्ता, क्षेत्राधिकारी सैदपुर बलिराम, थानाध्यक्ष खानपुर संजय मिश्रा,
थानाध्यक्ष बहरियाबाद संदीप कुमार समेत चौकी प्रभारी मौधा आशुतोष शुक्ला, भाजपा जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह के पिता मुन्ना सिंह, जिला महामंत्री दयाशंकर पांडेय, प्रवीण सिंह, जिलामंत्री संतोष चौहान, अच्छेलाल गुप्ता, मंडल अध्यक्ष श्याम कुंवर मौर्या, सभाजीत विश्वकर्मा, महेंद्र प्रताप सिंह,
शिव प्रसाद गुप्ता, बाबूलाल यादव, तेज नारायण चौहान, राधाविनोद, कृष्णमोहन पांडेय, बेचू बिंद, माधवेंद्र सिंह, संजीव पांडेय, अचल सिंह, संतोष भारद्वाज सहित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ व प्रशासनिक
अधिकारियों के साथ ही अन्य सैकड़ों लोगों ने पार्थिव शरीर पर पुष्पाजंलि अर्पित कर शहीद को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। इसके बाद जवान की शव यात्रा निकली।
सौना, शिवदाशपुर, पोखरा मोड़, अनौनी, ददरा, बिहारीगंज, औड़िहार होते हुए रामतवक्का घाट जौहरगंज श्मशानघाट पहुंची। यात्रा में शामिल लोग तिरंगा लहराते हुए और भारत माता की जय आदि गगनभेदी नारा लगाते चल रहे थे। राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि बड़े बेटे शिवांश ने दी।